Saturday, September 2, 2017

जुनून पढाई का


निरोज कुमार
झुमरा झारखण्ड से , बिहार का बंटवारा हुवा नहीं था तब से नक्सलियों का स्वर्ग ...जब इनसे मुलाक़ात हुई , आस्चर्य होता बच्चों के लिए माँ को पढ़ते लिखते सीखते देख रहा हूँ , स्कूल में पढ़ाते नहीं , तभी बच्चे पढ़ना चाहते नहीं , खेलने में अधिक ध्यान ! क्या करेगी बिटिया पढ़कर सवाल पूछने पे जवाब मिलता , बिना पढ़े तो अच्छे घर में शादी भी नहीं होगी , बिटिया पढ़कर नौकरी क्यों नहीं करेगी , जवाब नहीं देती , शायद उतना सोंच नहीं पाती हैं अभी, लेकिन पढ़ाई का महत्व समझती है , बच्चों के बहाने ही सही खुद भी पढ़ रही है !!!#सलाम आपको #साभार - निरोज कुमारजी की फेसबुक वॉल(विविध सुंदर आयामों को समेटे उनकी हरेक तस्वीरें बड़ी मनमोहक व संदेशप्रद  होती हैं. 'फेर')

No comments:

Post a Comment

इस खबर पर आपका नजरिया क्या है? कृप्या अपने अनुभव और अपनी प्रतिक्रिया नीचे कॉमेंट बॉक्स में साझा करें। अन्य सुझाव व मार्गदर्शन अपेक्षित है.

मंत्रीजी, होम क्वरंटाइन में घुमे जा रहे हैं

 बतौर केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री कोरोनाकाल में अश्वनी चैबे की जिम्मेवारियां काफी बढ जानी चाहिए। क्योंकि आम लोग उनकी हरेक गतिविधियों खासक...