इसके आगे की कहानी उन्हीं के फेसबुक पोस्ट की जुबानी। अगले दिन यानी 08 अक्टूबर को केंद्रीय मंत्री और लोजपा संस्थापक राम विलास पासवान की मौत की दुखद खबर आती है। अश्वनी चैबे मतामपूर्सी करने अस्पताल और 12 जनपथ पहंुच जाते हैं। उसके अगले दिन यानी 09 अक्टूबर को वह फिर 12 जनपथ पहंुचकर दिवंगत नेता को श्रद्धांजली देते हैं। उसी दिन दिल्ली से उड़कर पटना भी पहंुच जाते हैं। एयरपोर्ट पर फिर दिवंगत रामविलास पासवान के पार्थिव शरीर पर पुष्प अर्पित करते हैं। अगले दिन 10 अक्टूबर को दिवंगत नेता के अंतिम संस्कार में शामिल होते हैं। फिर अगले दिन यानी 11 अक्टूबर को बाबा नगरी देवघर पहंुचते हैं। एम्स का निरीक्षण और बाबा वैद्यनाथ धाम में पूजा पाठ करते हैं।
यानी अश्वनी चैबे 07 अक्टूबर को खुद ही अगले कुछ दिनों तक होम क्वारंटीन में रहने की घोषण करते हैं। लेकिन उसके अगले दिन से ही वह अपने घोषणा पर कितना अमल करते देखे गये, यह आप सभी ने देखा। हां, दिवंगत नेता से उनका स्नेह अधिक हो सकता है, लेकिन मातमपूर्सी के दौरान दूसरों को खतरे में डालना भी कहां उचित है।
खैर, राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि चैबे अपने किसी सगे को विधानसभा का टिकट दिलवाना चाहते थे। लेकिन असफल रहे। लिहाजा मुंहफुलाए चैबेजी दूसरे उम्मीदवारों के नाॅमिनेशन में शामिल नहीं हुए। लेकिन इन सबके बीच केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री ने होम क्वारंटीन में होने का मतलब और मकसद ही बदल डाला। सवाल तो यह खड़ा होता है कि जब कोरोना वायरस संक्रमण की गंभीरता से केंद्रीय मंत्री ही खिलवाड़ करते नजर आएंगे तो आम लोगों को कौन समझाएगा ?
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