Tuesday, May 27, 2008

देश में बढ़ रही राजनीतिक पार्टियों की भीड़ में एक अलग तरह की पार्टी उभरी है और इस पार्टी की विशेषता यह है कि इसमें सिर्फ़ महिला सदस्य हैं'यूनाइटेड वीमेन फ़्रंट' (यूडब्लूएफ़) के नाम से गठित इस पार्टी का उद्देश्य भ्रष्टाचार और ग़रीबी से लड़ना और महिलाओं को समाज में बराबरी का हक़ दिलाना है।इस पार्टी में इस समय कोई 100 सदस्य हैं और यह चाहती है कि गुजरात और हिमाचल में लड़ा जाए और इसके बाद 2009 के लोकसभा चुनाव में भी उम्मीदवार उतारे जाएँ. इस पार्टी की प्रमुख हैं सुमन कृष्णकांत। वे समाजसेविका हैं और दिवंगत उपराष्ट्रपति कृष्णकांत की पत्नी हैं.महिलाएँ कई सालों से अपनी जगह पाने के लिए संघर्ष कर रही हैं. पिछले दस सालों में एनडीए और यूपीए दोनों ने महिलाओं को बहुत कुछ देने का वादा किया लेकिन दिया कुछ नहीं महिलाएँ कई सालों से अपनी जगह पाने के लिए संघर्ष कर रही हैं. पिछले दस सालों में एनडीए और यूपीए दोनों ने महिलाओं को बहुत कुछ देने का वादा किया लेकिन दिया कुछ नहीं."जब देश में सिर्फ़ आठ प्रतिशत महिलाएँ विधायिका का हिस्सा हों और सिर्फ़ दो प्रतिशत महिलाओं को न्यायपालिका में जगह मिल सकी हो तो संघर्ष करना ज़रूरी है.यह पूछने पर कि वे अपनी पार्टी से पुरुषों को क्यों अलग रख रही हैं, उन्होंने कहा, "बिल्कुल अलग नहीं रख रहे हैं, हम उनको 50 प्रतिशत आरक्षण दे देंगे."
सुमन कृष्णकांत का कहना था कि उनकी राजनीतिक पार्टी की अपनी आर्थिक नीति है और अपनी विदेश नीति.

बीजेपी की ऐतिहासिक जीत

बीजेपी ने कर्नाटक चुनाव में ऐतिहासिक जीत हासिल कर दक्षिण भारत में अपने बूते सरकार बनाने का पहला माइल स्टोन गाड़ दिया है। 224 सीटों की विधान सभा में 110 सीटें जीतकर पार्टी बहुमत से सिर्फ 3 सीट पीछे रह गई, लेकिन निर्दलीय विधायकों की मदद से उसकी सरकार बनना तय है। 2 निर्दलीय सदस्य बीजेपी के बागी उम्मीदवार हैं और पार्टी को उन्हें मिला लेने की पूरी उम्मीद है। बी. एस. येदियुरप्पा मुख्यमंत्री होंगे। उन्हें सोमवार को विधायक दल का नेता चुना जाएगा। सूत्रों के मुताबिक वह बुधवार को पद और गोपनीयता की शपथ ले सकते हैं। दक्षिण की इस जीत के साथ ही करीब एक साल बाद होने वाले लोकसभा चुनाव में बहुमत हासिल करने के पार्टी के मंसूबों को पर लग गए हैं। प्रेक्षकों का मानना है कि इस जीत ने बीजेपी को लोकसभा चुनाव के लिए फ्रंट रनर का रुतबा दे दिया है। बीजेपी के पीएम इन वेटिंग लालकृष्ण आडवाणी ने कर्नाटक चुनाव के नतीजों को राष्ट्रीय राजनीति में टर्निंग पॉइंट करार दिया है। बीजेपी के लिए यह जीत राष्ट्रीय महत्व का साबित होने वाली है। लोकसभा चुनाव में जीत का आत्मविश्वास बढ़ने के साथ ही एनडीए गठबंधन में नई सहयोगी पार्टियों को अपनी तरफ खींचने की उसकी क्षमता भी बढ़ेगी। इस चुनाव में बीजेपी ने महंगाई व आतंकवाद के प्रति यूपीए गठबंधन के सॉफ्ट रुख को प्रमुख मुद्दा बनाया था। प्रेक्षकों के मुताबिक कर्नाटक के नतीजों से लगता है कि ये मुद्दे पूरे देश में बीजेपी को काफी मदद करेंगे। पार्टी ने सुशासन और स्थिरता का भी नारा दिया था। कर्नाटक में जेडीएस को मिले जबर्दस्त झटके से यह भी लगता है कि उसे बीजेपी के धोखाधड़ी की कीमत भी चुकानी पड़ी। येदियुरप्पा के पक्ष में सहानुभूति लहर भी काम कर रही थी। बीजेपी को यह जीत किसी ख्वाब के सच होने जैसी लग रही है। कांग्रेस का गढ़ कहे जाने वाले कर्नाटक में कभी पार्टी का एकमात्र विधायक था। पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी 79 सीट लेकर सबसे बड़ी पार्टी थी। फिलहाल पार्टी के केंद्रीय नेताओं के पांव जमीन पर नहीं टिक रहे। लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि कर्नाटक का नतीजा केंद्र सरकार की नातियों के खिलाफ जनादेश है। यहां के नतीजे ने यह साफ कर दिया है कि आगामी लोकसभा चुनाव में ऊंट किस करवट बैठने वाला है। जीत से खासे उत्साहित बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा कि बीजेपी को अब तक मात्र नॉर्थ इंडिया की पार्टी माना जा रहा था, लेकिन कर्नाटक चुनाव की शानदार सफलता के बाद अब हम शान से कह सकते हैं कि बीजेपी अखिल भारतीय पार्टी है। कर्नाटक की जीत पार्टी के लिए कई और मायने रखती है। आजादी के बाद बीजेपी पहली पार्टी है, जो कांग्रेस को पीछे धकेलकर देश की सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। सुषमा स्वराज ने कहा कि पार्टी ने विजय का अश्वमेध घोड़ा छोड़ दिया है, किसी की कुव्वत हो तो उसे रोक ले। अरुण जेटली ने कर्नाटक की जीत को लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी का 'बेस स्टेशन' करार दिया।

मंत्रीजी, होम क्वरंटाइन में घुमे जा रहे हैं

 बतौर केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री कोरोनाकाल में अश्वनी चैबे की जिम्मेवारियां काफी बढ जानी चाहिए। क्योंकि आम लोग उनकी हरेक गतिविधियों खासक...