Tuesday, April 7, 2009

भावना और पत्रकारिता

जरनैल सिंह ने गृह मंत्री पी चिदम्बरम पर सांकेतिक रूप से जुटा फेका यह मामला इराक के पत्रकार जैदी से बिल्कुल भिन्न हैजैदी सांकेतिक रूप से नही बल्कि चोट पहुचने के उदेश्य से जुटा फेंका थाअगर बुश को जुटा लगता तो उन्हें चोट जरुर पहुचती यह अलग बात है की जनरैल सिंह के इस बर्ताव को भी बिल्कुल जायज नही बताया जा सकता सोच के देंखे की उनके सवाल को चिदम्बरम क्यो aन्देखी कर रहे थेसाफ है उनके पास जनरैल सिंह के सवाल का जवाब नही थापत्रकार होने से पहले कोई आदमी एल इन्सान हैइन्सान की कुछ भावनाएं होती हैं सीखो के साथ १९८४ में क्या कुछ नही हुआक्या उस घटना के लिए कोई जिम्मेवार नही हैक्या कोई असमान से टपक कर सीखो को मौत के घाट उतर कर चला गयाजब राजनेता जो मंत्री पड़ पर असं हैं , उन्हें सिर्फ़ वोट की राजनीतक करनी चाहिए इसमे में भी कोई दो राइ नही की पी चिदम्बरम आज की तारीख में अन्य राजनेताओ में शायद सबसे अच्छे हैं वे देश के गृह मंत्री हैंइसलिए उन्हें सेबीअई के कार्यो कलापों पर भी ध्यान देना चाहिएअगर उनका सीबीआई ग़लत करेगा तो वे अच्छे कैसे बने रह सकते हैं

mआने या माने अगर चुनाव का समय नही होतो तो जनरैल सिंह को कभी इतनी आसानी से नही छोरा जाताआज के समय में हर कोई अपनी जज्बातों पर कबू नही रख प् रहा हैरोड पर हलकी सी टक्कर पर जन लेने पर लोग उतारू हो जाते हैंजनरैल सिंह को भी अपनी जज्बातों पर काबू रखना चाहिए थाखैर ऐसी बातें करना असं है , उसपर अमल करना कठिन हैयहाँ यह सवाल भाई खरा करना लाजिमी है की हो सकता है की जनरैल सिंह ने चुनाव को ध्यान में रख कर ऐसा कम क्या होकिसी राजनीती मोहरा के सीकर हुए होंइनसब के बाबजूद जो लोग उन्हें जानते है वे उनकी अछइयो की bअत करतें हैंजनरैल सिंह ने ऐसा क्यो कियालेकिन इतना तो sअच् है की यह सब भावनावो का उद्गम था .

मंत्रीजी, होम क्वरंटाइन में घुमे जा रहे हैं

 बतौर केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री कोरोनाकाल में अश्वनी चैबे की जिम्मेवारियां काफी बढ जानी चाहिए। क्योंकि आम लोग उनकी हरेक गतिविधियों खासक...