Tuesday, October 13, 2020

मंत्रीजी, होम क्वरंटाइन में घुमे जा रहे हैं

 बतौर केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री कोरोनाकाल में अश्वनी चैबे की जिम्मेवारियां काफी बढ जानी चाहिए। क्योंकि आम लोग उनकी हरेक गतिविधियों खासकर सार्वजनिक पहलूओं पर नजर रखते हैं। उन्हीं का महकमा स्वास्थ्य मंत्रालय समय-समय पर कोरोना वायरस को लेकर गाईडलाइन जारी करता रहता है। इन्हीं गाइडलाइन में होम क्वारंटीन से संबंधित एसओपी यानी स्टैंडर्ड आॅपरेशन प्रोटोकाॅल का भी उल्लेख मिल जाता है। आप सभी अब कोरोना वायरस से संबंधित मामलों से भली प्रकार परिचित हो गए होंगे। लिहाजा बात सीधे मुद्दे की। दरअसल, केंद्रीय मंत्री अश्वनी चैबे ने 7 अक्टूबर को अपने फेसबुक अकाउंट के जरिए एक संदेश साझा करते हैं।....

इसके आगे की कहानी उन्हीं के फेसबुक पोस्ट की जुबानी। अगले दिन यानी 08 अक्टूबर को केंद्रीय मंत्री और लोजपा संस्थापक राम विलास पासवान की मौत की दुखद खबर आती है। अश्वनी चैबे मतामपूर्सी करने अस्पताल और 12 जनपथ पहंुच जाते हैं। उसके अगले दिन यानी 09 अक्टूबर को वह फिर 12 जनपथ पहंुचकर दिवंगत नेता को श्रद्धांजली देते हैं। उसी दिन दिल्ली से उड़कर पटना भी पहंुच जाते हैं। एयरपोर्ट पर फिर दिवंगत रामविलास पासवान के पार्थिव शरीर पर पुष्प अर्पित करते हैं। अगले दिन 10 अक्टूबर को दिवंगत नेता के अंतिम संस्कार में शामिल होते हैं। फिर अगले दिन यानी 11 अक्टूबर को बाबा नगरी देवघर पहंुचते हैं। एम्स का निरीक्षण और बाबा वैद्यनाथ धाम में पूजा पाठ करते हैं।

यानी अश्वनी चैबे 07 अक्टूबर को खुद ही अगले कुछ दिनों तक होम क्वारंटीन में रहने की घोषण करते हैं। लेकिन उसके अगले दिन से ही वह अपने घोषणा पर कितना अमल करते देखे गये, यह आप सभी ने देखा। हां, दिवंगत नेता से उनका स्नेह अधिक हो सकता है, लेकिन मातमपूर्सी के दौरान दूसरों को खतरे में डालना भी कहां उचित है।

खैर, राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि चैबे अपने किसी सगे को विधानसभा का टिकट दिलवाना चाहते थे। लेकिन असफल रहे। लिहाजा मुंहफुलाए चैबेजी दूसरे उम्मीदवारों के नाॅमिनेशन में शामिल नहीं हुए। लेकिन इन सबके बीच केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री ने होम क्वारंटीन में होने का मतलब और मकसद ही बदल डाला। सवाल तो यह खड़ा होता है कि जब कोरोना वायरस संक्रमण की गंभीरता से केंद्रीय मंत्री ही खिलवाड़ करते नजर आएंगे तो आम लोगों को कौन समझाएगा ?     


Tuesday, October 6, 2020

देश की सबसे खतरनाक हस्तियां


 इन सेलिब्रिटीज को गौर देखिए। ये मोस्ट डेंजरस सेलिब्रिटी हैं। ये टाॅप टेन मोस्ट डेंजरस सेलिब्रिटी की लिस्ट में शुमार हैं। मोस्ट डेंजरस सेलिब्रिटी के लिस्ट में नंबर दो तब्बू, तीन तापसी पन्नू, चार अनुष्का शर्मा, 5 सोनाक्षी सिन्हा, 6 अरमान मल्लिक, 7 सारा अली खान, 8 दिव्यांका त्रिपाठी, 9 शाहरुख खान और नंबर 10 पर है अरजीत सिंह। नंबर एक पर हैं मशहूर फुटबाॅलर रोनाल्डो।

 अब आप सोच रहे होंगे कि इनमें से अधिकतर सिलेब्रिटी के बार में कभी डेंजरस जैसी खबर तो आई नहीं, तब इनके नाम मोस्ट डेंजरस सेलिब्रिटी के लिस्ट में कैसे। दरअसल, एंटीवायरस बनाने वाली कंपनी मेकाफी ने मोस्ट डेंजरस सेलिब्रिटी लिस्ट 2020 जारी किया है। कंपनी के इस 14वें संस्करण के लिस्ट के टाॅप 10 में इन बाॅलिवुड सेलिब्रिटी के नाम शुमार किये गये हैं। आइए अब इस राज से पर्दा उठाते हैं। आगे की कहानी आपको अगाह और सुरक्षित करने के लिए। इस साल कोरोनावायरस के कारण अधिकतर लोगों की आॅनलाइन गतिविधियां काफी बढ गई हैं। सोशल डिस्टेंसिंग के इस दौर में लोग अपने मोबाईल, लैपटाॅप, स्मार्ट टीवी, टैबलेट आदि से ज्यादा चिपके रहे। हैकर्स भी इस ट्रेंड को भांप गए और अपनी कारगुजारियों को अंजाम देने लगे। इसके पीछे हमारी लालच ही दोषी है। दरअसल, होता यह है कि हम फ्री का पाइरेटड स्पोट्र्स, फिल्म, टीवी शो और लिक्ड वीडियो देखने के फिराक में रहते हैं। इसीका फायदा उठाते हुए हैकर्स ट्रेंडस के अनुसार मलिशस यानी दुर्भावना से ग्रस्त वेबसाइट बनाते हैं। जैसे ही हम फ्री के चक्कर ऐसे मलिशस वेबसाइट पर जाते हैं, वैसे ही हमारी व्यक्गित जानकारियां सेकेंड भर में उन तक पहंुच जाती हैं। इसलिए फ्री का कुछ देखने को मिले तो क्लिक करने से पहले हजार बार सोचें। इन मोस्ट डेंजरस सेलिब्रिटी के वीडियो देखने मंे आपकी दिलचस्पी है, तो आप खतरे में पड़ सकते हैं।

और ऐसे में हमारे साइबर क्राइम के शिकार होने का खतरा काफी बढ जाता है।


Sunday, October 4, 2020

तैयार हो रही है पृथ्वी की जुड़वा

बन रही है, एक और पृथ्वी। तैयार हो रही है पृथ्वी की जुड़वा। ट्वीन अर्थ। कहने सुनने में भले ही अजूबा लगे, लेकिन यह हकीकत है। कोई मनगढंत किस्सा-कहानी नहीं। इस जुड़वा पृथ्वी पर मानव के व्यवहार भी देखे जा सकेंगे। वातावरण भी मौजूदा पृथ्वी की तरह होगा। समुद्र भी होगा। बर्फ व नदियां भी। जमीनी सतह तो होगा ही। इस जुड़वा पृथ्वी पर ठीक वैसा ही क्लाइमेट चेंज होगा, जैसे हमारी पृथ्वी पर होता है। व्यवहार में बिल्कुल हू ब हू ।


बाढ, सूखा, आग सब कुछ। लेकिन मौजूदा पृथ्वी की तुलना में नयी पृथ्वी पर यह सब परिघटनाएं काफी पहले हो जाया करेंगी। यानी जुड़वा पृथ्वी पर जो कुछ होगा, वह सब हमारी पृथ्वी पर कुछ दिनों, महीनों या साल बाद होगा। तो वाकई यह हम सभी के लिए खुशखबरी है। मौसम, बीमारी, पर्यावरण को लेकर पूर्वानुमान लगा पाना बेहद आसान हो जाएगा। हम काफी सुरक्षित हो जाएंगे। दरअसल, यूरोपियन यूनियन अर्थ प्लानेट के डिजिटल टवीन के महत्वकांक्षी योजना को अंतिम रुप दे रहा है। इसे लेकर जल्द ही 8 बिलियन यूरो की लगात से फिनलैंड, इटली और स्पेन में सुपर कंप्यूटर लगाये जाएंगे। ये सूपर कंप्यूटर प्रति सेकेंड एक बिलियन बिलियन कलकूलेशन करने में सक्षम होंगे। कई बिलियन यूरो वाला यह प्रोजेक्ट यूरोपियन सेंटर फाॅर मीडियम रेंज वेदर फाॅरकास्टस का है। पहले इसे प्रोजेक्ट को कैंसिल कर दिया गया था। लेकिन इस दिशा में चीन, जापान और अमेरिका से होड़ में आगे निकलने की सोच ने विचार बदलने पर विवश कर दिया। बेहद हाई रिजोल्यूशन के कारण डीजिटल पृथ्वी से एकत्रित डाटा हरेक तरह के पूर्वानुमान लगा पाने अधिक कारगर साबित होगा। जैसे समुद्र में बर्फ के भीमकाय चट्टानों में एक बेहद छोटा सा फ्रेक्चर होने पर भी पता चल जायेगा। ऐसे में आप अंदाज लगा सकते हैं कि पृथ्वी पर बारीक से बारीक परिवर्तन का पता हमें समय रहते काफी पहले हो जाया करेगा। प्रदूषण, फसल उत्पादन, जंगलों में लगने वाली आग, मौसम, बाढ, सूखा, बीमारी यानी सब कुछ में होने वाले परिवर्तन का अंदाज हम काफी पहले लगा सकने की स्थिति में होंगे। हमें बेसब्री से पृथ्वी की जुड़वा यानी डिजिटल अर्थ के हकीकत में बदलने का इंतजार रहेगा।      

Saturday, October 3, 2020

दशहरे से दिवाली के बीच बिहार में लोकतंत्र का महापर्व

कोरोना संकट के बीच बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर चल रहे तमाम अटकलबाजियों को दरकिनार करते हुए चुनाव आयोग ने बिहार के सियासी महासमर का ऐलान कर दिया है। मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने बिहार विधानसभा चुनाव का ऐलान करते हुए कहा कि कोरोना काल में यह देश का पहला बड़ा चुनाव होने जा रहा है। पिछले कुछ महीनों में कोरोना के चलते दुनिया के करीब 70 देशों में चुनाव का टाले गए है। हम चाहते थे, कि लोगों का लोकतंत्र का अधिकार बना रहे। यही वजह है कि सभी स्वास्थ्य सुरक्षा मानकों के तहत चुनाव कराने जा रहे है। कोरोना काल में लोगों के स्वास्थ्य और सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जाएगा। चुनाव आयोग ने इसके लिए काफी तैयारी की है। चुनाव कार्यक्रम को भी इसी को ध्यान में रखकर बनाया गया है। राज्यसभा चुनाव और विधान परिषद चुनावों में हमने ऐसा किया है।

कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए पिछले दो दशक में संभवतः सबसे कम अवधि और चरणों में चुनाव की पूरी प्रकिया होगी। 28 अक्टूबर से तीन चरणों में मतदान तीन नवंबर और सात नवंबर को होगा और नतीजे की घोषणा 10 नवंबर को होगी। पहले चरण में 16 जिलों और 71 सीटों पर चुनाव। दूसरे चरण में 17 जिलों में चुनाव होगा। दूसरे चरण में 94 सीटों पर चुनाव होगा। तीसरे चरण में 15 जिलों में 78 सीटों पर चुनाव होगा। पहले चरण की अधिसूचना 1 अक्टूबर को जारी होगी। नामांकन की आखिरी तारीख 8 अक्टूबर है। 28 अक्टूबर को पहले चरण का मतदान होगा। दूसरे चरण के लिए अधिसूचना 9 अक्टूबर को जारी होगी। नामांकन की आखिरी तारीख 16 अक्टूबर होगी। 3 नवंबर को दूसरे चरण की वोटिंग होगी। इसी तरह तीसरे चरण के लिए अधिसूचना 13 अक्टूबर को जारी होगी। नामांकन की आखिरी तारीख 20 अक्टूबर होगी। आखिर चरण की वोटिंग 7 नवंबर को होगी। इसके साथ ही 10 नवंबर को चुनाव परिणाम आएंगे। यानी दशहरे से लेकर दिवाली के बीच सूबे में लोकतंत्र का महापर्व चुनाव का आयोजन होना है।

बिहार विधानसभा चुनाव में कुल सात करोड़ से ज्यादा मतदाता अपने वोट का इस्तेमाल कर पाएंगे। बिहार विधानसभा चुनावों के लिए नामांकन आॅनलाइन भरे जा सकते हैं। खास बदलाव यह है कि मतदान के लिए एक घंटे का वक्त बढ़ाया गया है। यह सुबह सात बजे से शाम छह बजे तक होगा। यह बदलाव नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में नहीं होगा। अन्य सुरक्षा इंतजाम भी किए गए हैं। कोरोना संक्रमण को देखते हुए मतदान केंद्रों की संख्या भी बढ़ाई गई है। 2015 के चुनाव में बिहार में कुल 65 हजार मतदान केंद्र बनाए गए थे, इस बार इनमें करीब 63 फीसदी की बढ़ोत्तरी की गई है। जो अब 1.06 लाख हो गई है। इसके तहत प्रत्येक मतदान केंद्र पर वोटरों की संख्या अब औसतन 684 के आसपास हो गई है। पहले यह पंद्रह सौ या उससे ज्यादा भी होती थी। मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा है कि कोविड के चलते नए सुरक्षा मानकों के तहत चुनाव होंगे। मतदान केंद्र पर मतदाताओं की संख्या घटाई जाएगी। एक मतदान केंद्र पर एक हजार मतदाता होंगे। कोरोना संक्रमण को देखते हुए मतदान के लिए आने वाले प्रत्येक मतदातओं के लिए मास्क और ग्लब्स को अनिवार्य किया गया है। इस दौरान प्रत्येक मतदान केंद्र पर मास्क और ग्लब्स की व्यवस्था भी रहेगी। जिनके पास मास्क और ग्लब्स नहीं होगा, उन्हें यह दिया जाएगा। इसके तहत 46 लाख मास्क और सात करोड़ हैैंड ग्लब्स, लगभग सात लाख हैंड सैनीटाइजर, छह लाख पीपीइ किट का इंतजाम किया गया है। प्रत्येक मतदान केंद्र पर थर्मल स्कैनर भी रहेगी। जहां मतदान के लिए आने वाले प्रत्येक व्यक्ति की जांच के बाद ही मतदान केंद्र के अंदर जाने दिया जाएगा। वहीं कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए भी वोट डालने की व्यवस्था की गई है। जो मतदान के अंतिम घंटे में मतदान के लिए आएंगे। यानी सामान्य मतदान केंद्र पर शाम 5 से 6 बजे तक संक्रमित वोटर आ सकेंगे। 

विधानसभा चुनाव में इस बार 7.29 करोड़ से ज्यादा मतदाता मतदान में हिस्सा ले सकेंगे। इनमें लंबे समय से बाहर रहने वाले करीब 2.3 लाख ऐसे लोग मजदूर भी है, जो कोरोना संक्रमण के चलते लगाए देशव्यापी लॉकडाउन के बीच लौट आकर आए थे। विशेष अभियान चलाकर इन सभी के नाम पहली बार मतदाता सूची में शामिल किया गया है। हालांकि इस दौरान बाहर से आए 14 लाख मजदूर और भी है, लेकिन इनके नाम मतदाता सूची में पहले से ही थे। वहीं उम्मीदवार समेत कुल पांच लोग ही डोर टू डोर कैंपेन में शामिल होंगे। पांच से ज्यादा लोग घर जाकर प्रचार नहीं कर पाएंगे।

मुख्य चुनाव आयुक्त के अनुसार, चुनाव के दौरान सोशल मीडिया का इस्तेमाल भी एक चुनौती है। सोशल मीडिया पर कोई भी अगर समाज में तनाव पैदा करने की कोशिश करता है तो उसपर कानूनी कार्रवाई होगी। उम्मीदवारों के बारे में जानकारी वेबसाइट पर देनी होगी। उम्मीदवारों पर केस की जानकारी सार्वजनिक की जाएगी। चुनाव आयोग ने बताया कि नामांकन के दौरान उम्मीदवार के साथ दो से ज्यादा वाहन नहीं जा सकते हैं। इस बार वर्चुअल चुनाव प्रचार होगा। बड़ी- बड़ी जनसभाएं नहीं की जा सकेंगी।

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कौन कहां खड़ा है

बिहार विधानसभा में कुल 243 विधानसभा सीटें हैं। इस वक्त भाजपा, जदयू और लोजपा का गठबंधन एनडीए सत्ता में है। लेकिन याद रहे कि नीतीश कुमार की जदयू ने 2017 में राजद से गठबंधन तोड़कर भाजपा के साथ सरकार बनाई थी। मौजूदा समय में राजद बिहार में सबसे बड़ी पार्टी है, जिसके पास 73 सीटें हैं। वहीं जदयू के पास 69, जबकि भाजपा के पास 54 सीटें हैं। इसी तरह लोजपा के दो, हम के एक और चार निर्दलीय मिलाकर एनडीए के खाते में कुल 130 सीटें हैं। महागठबंधन के पास फिलहाल 101 सीटें हैं। इनमें राजद के 73, कांग्रेस के 23, सपीआई एमएल के तीन समेत एक निर्दलीय का समर्थन प्राप्त है। वहीं एआईएमआईएम के एक और खाली सीटों की संख्या बारह है।

उल्लेखनीय है कि पिछले साल यानी 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में सूबे की 40 में 39 सीटें एनडीए को मिली थीं। सिर्फ एक सीट पर कांग्रेस का उम्मीदवार जीता था। लोकसभा के नतीजों को अगर विधानसभा क्षेत्र के हिसाब से देखें तो एनडीए को 223 सीटों पर बढ़त मिली थी। इनमें से 96 सीटों पर भाजपा तो 92 सीटों पर जदयू आगे थी। लोजपा 35 सीटों पर आगे थी। एक सीट जीतने वाला महागठबंधन विधानसभा के लिहाज से 17 सीटों पर आगे था। इनमें 9 सीट पर राजद, 5 पर कांग्रेस, दो पर हम (सेक्युलर) जो अब एनडीए का हिस्सा हैं और एक सीट पर रालोसपा को बढ़त मिली थी। अन्य दलों में दो विधानसभा क्षेत्रों में एआईएमआईएम और एक पर सीपीआई एमएल आगे थी।

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ओपिनियन पोल 

विधानसभा चुनाव की तारीख के एलान के बाद एबीपी न्यूज और सीवोटर ने सर्वे ओपिनियन पोल जारी किया है। इस सर्वे में कहा गया है कि सूबे में फिर से एनडीए की सरकार बन सकती है। सर्वे के मुताबिक जदयू और भाजपा के सहयोगी पार्टियों वाले गठबंधन एनडीए के 44.8 फीसदी वोट मिल सकते हैं। सर्वे में एनडीए के 141 से 161 सीटें जीतने का अनुमान बताया गया है। वहीं महागठबंधन को 33.4 फीसदी वोट मिलने के आसार हैं। महागठबंधन के हिस्से में 64 से 84 सीटें जा सकती हैं। वहीं अन्य पार्टियों को 21.8 फीसदी वोट मिलने का अनुमान लगाया गया है। वोट फीसदी को सीटों की संख्या में बदले तो इन दलों को 13 से 23 सीटें मिल सकती हैं। साथ ही सर्वे में बताया गया है कि 56.7 फीसदी लोग नीतीश से नाराज हैं, वे लोग बिहार में सत्ता परिवर्तन चाहते हैं। जबकि 29.8 फीसदी लोग सरकार से नाराज तो हैं लेकिन उसे बदलना चाहते हैं। 13.5 फीसदी ऐसे लोग भी हैं, जिन्हें नीतीश कुमार से शिकायत नहीं है और वह सत्ता परिवर्तन नहीं चाहते हैं।

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सीटों का बंटवारा

चुनाव आयोग द्वारा तारीखों के ऐलान हो जाने के बावजूद दोनों महत्वपूर्ण गठबंधन एनडीए और महागठबंधन के घटक दल आपस में सीट बंटवारे को लेकर अंतिम नतीजे तक नहीं पहंुच सके हैं। एनडीए को लेकर चर्चाएं हो रही हैं कि अमित शाह अगर स्वस्थ रहते तो एनडीए में सीट शेयरिंग कोई मुद्दा होता ही नहीं।  भाजपा और जदयू के बीच ही अभी सीट बंटवारे का कोई आखिरी फॉर्मूला तय नहीं हो पाया है। भाजपा के कई नेता चाहते हैं कि 50ः50 के फॉर्मूले पर अमल किया जाए ताकि सूबे में जदयू की बड़े भाई की इमेज को तोड़ा जाए। गठबंधन में शामिल लोजपा कभी नरम तो कभी कभी गरम रूख दिखाकर गठबंधन को असमंजस में डाले हुए है। भाजपा भी अब लोजपा को बहुत भाव देने के पक्ष में नहीं हैं। भाजपा ने साफ कर दिया है वो गठबंधन में लोजपा को 25 सीट से ज्यादा सीटें नहीं दे सकती है। 

वहीं महागठबंधन में भी सीटों को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुइ है। राजद पार्टी हर हाल में 160 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है। रालोसपा अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कहा है कि महागठबंधन में उन्हें सम्मान नहीं मिल रहा है और उनकी पार्टी को सम्मानजनक सीटें नहीं मिल रहीं है। उपेंद्र कुशवाहा के इस बयान से राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं कि वह कांग्रेस और राजद से नाराज हैं और एनडीए में शामिल हो सकते हैं। -------------------------------------


किस सीट पर कब मतदान


पहला चरण -28, अक्टूबर/71 सीटें 


कहलगांव, सुल्तानगंज, अमरपुर, धोरैया (एससी),  बांका, कटोरिया (एसटी), बेलहर, तारापुर, मुंगेर, जमालपुर, सूर्यगढ़, लखीसराय, शेखपुरा, बारबीघा, मोकामा, बाढ़, मसौढ़ी (एससी), पालीगंज, बिक्रम, संदेश, बराहरा, आरा, अगियांव (एससी), तरारी, जगदीशपुर, शाहपुर, ब्रह्मपुर, बक्सर, दुमरांव, रायपुर (एससी), मोहनिया (एससी), भाबुआ, चैनपुर, चेनारी (एससी), सासाराम, करगहर, दिनारा, नोखा, देहरी, कराकट, अरवल, कुर्था, जेहानाबाद, घोसी, मखदूमपुर (एससी), गोह, ओबरा, नबी नगर, कुटुम्बा (एससी), औरंगाबाद, रफीगंज, गुरुआ, शेरघाटी, इमामगंज, (एससी), बाराचट्टी (एससी), बोध गया (एससी), गया टाउन, टीकरी, बेलागंज, अतरी, वजीरगंज, राजौली (एससी), हिसुआ, नवादा, गोबिंदपुर, वरसालीगंज, सिकंदरा (एससी), जमुई, झाझा, चकाई।  


दूसरा चरण-03 नवंबर/ 94 विधानसभा सीटेंे


नौतन, चनपटिया, बेतिया, हरसिद्धि (एससी), गोविंदगंज , केसरिया कल्याणपुर, पिपरा, मधुबन, श्योहर, सीतामढ़ी, रुन्नीसैदपुर, बेलसंद, मधुबनी, राजनगर (एससी), झंझारपुर, फूलपरास, कुशेश्वर अस्थान (एससी), गौरा बौराम, बेनीपुर, अलीनगर, दरभंगा ग्रामीण, मीनापुर, कांति, बरुराज, पारू, साहेबगंज, बैकुंठपुर, बरौली, गोपालगंज, कुचाइकोट, भोरे (एससी), हथुआ, सीवान, जिरादेई, दरौली (एससी), रघुनाथपुर, दरौंदा, बरहरिया, गोरियाकोठी, महराजगंज, एकमा, मांझी, बनियापुर, तरैया, मरहौरा, छपरा, गरखा (एससी), अमनौर, परसा, सोनपुर, हाजीपुर, लालगंज, वैशाली, राजा पाकर (एससी), राघोपुर, महनार, उजियारपुर, मोहिउद्दीननगर, विभूतिपुर, रोसेरा (एससी), हसनपुर, चेरिया-बरियारपुर, बछवारा, तेघरा, मटिहानी, साहेबपुर कमाल, बेगूसराय, बखरी (एससी), अलौली (एससी), खगड़िया, बेलदौर, परबत्ता, बिहपुर, गोपालपुर, पीरपैंती (एससी), भागलपुर, नाथनगर, अस्थावन, बिहारशरीफ, राजगीर (एससी), इस्लामपुर, हिलसा, नालंदा, हरनौत, बख्तियारपुर, दीघा, बांकीपुर, कुम्हरार, पटना साहिब, फतुहा, दानापुर, मनेर, फुलवारी (एससी)े।  


 तीसरा चरण- 07 नवंबर/ 78 सीटों


वाल्मीकि नगर, रामनगर (एससी), नरकटियागंज, बगहा, लौरिया, सिकटा,  रक्सौल, सुगौली, नरकटिया, मोतिहारी, चिरैया, ढाका, रीगा, बथनाहा (एससी), परिहार, सुरसंद, बाजपट्टी, हरलाखी, बेनीपट्टी, खजौली, बाबूबरही, बिस्फी, लौकहा, निर्मली, पिपरा, सुपौल, त्रिवेणीगंज (एससी), छातापुर, नरपतगंज, रानीगंज (एससी), फोर्बिसगंज, अररिया, जोकीहाट, सिकटी, बहादुरगंज, ठाकुरगंज, किशनगंज, कोचाधामन, आमौर, बैसी, कस्बा, बनमनखी (एससी), रूपौली, धमदाहा, पूर्णिया, कटिहार, कदवा, बलरामपुर, प्राणपुर, मनिहारी (एससी), बरारी, कोरहा (एससी), आलमनगर, बिहारीगंज, सिंहेश्वर (एससी), मधेपुरा, सोनबरसा (एससी), सहरसा, सिमरी बख्तियारपुर, महिषी, दरभंगा, हयाघाट, बहादुरपुर, क्योटी, जले, गायघाट, औराई, बोचहां (एससी), सकरा (एससी), कुरहनी, मुजफ्फरपुर, महुआ, पतेपुर (एससी), कल्याणपुर (एससी), वारिसनगर, समस्तीपुर, मोरवा, सरायरंजन।


Friday, October 2, 2020

मौसम की तरह महामारी पूर्वानुमान भी संभव


 आज या अगले कुछ दिनों में मौसम कैसा होगा ? हम सब के लिए यह आम सवाल है। और इसके जवाब के लिए शायद हमें दो बार सोचने की जरुरत नहीं पड़ती। हमारे स्मार्ट अस्टिेंट जैसे फोन या सिंपल इंटरनेट सर्च इसका जवाब बेहद आसानी से बता देते हैं। रोज अखबारों व टीवी के जरिए भी हमें पता चलता रहता है। भले ही यह हमें आसान लगता हो, लेकिन वास्तव में दुनिया भर के वेदर स्टेशन के ग्लोबल सेंसर नेटवर्क, एडवांस डाटा एनालिटिक्स और माॅडर्न सुपरकंप्यूटर की जटिल प्रक्रिया से ऐसा पूर्वनुमान लगा पाना संभव हुआ है। 

क्या महामारीी जैसे कोरोना का पूर्वानुमान लगाया जा सकता था या है? अभी तक भले ही ऐसा संभव नहीं था, लेकिन जल्द ही ऐसा संभव हो सकेगा। कंप्यूटर के क्षेत्र में दुनिया की अग्रणी कंपनी माइक्रोसाॅफट महामारी पूर्वनुमान लगा पाने में सक्षम होगी। कैसे? हमारे आस पास की जिंदगियों यानी पृथ्वी के बायोम में जीवों में कौन सा खतरनाक माइक्रोब्स यानी जीवाणु, वायरस और दूसरी बीमारियां पनप रही हैं या इनके द्वारा फैलायी जा रही हंै। मौसम पुर्वानुमान की तरह इनका भी समय रहते पूर्वानुमान की चेतावनी प्रणाली विकसित कर ली जाएगी ताकि पर्यावरण रोगाणुओं को भी फैलने से पहले खोज निकालना संभव हो सकेगा। यानी महामारी फैलने से पहले पूर्वानुमान। मौजूदा दौर में न केवल हमारे स्वास्थ्य की बल्कि अर्थव्यवस्था की और समाज की भी सेहत को सुरक्षित करने के लिए ऐसे नये ग्लोबल सेंसर नेटवर्क की जरुरत है। माइक्रोसाॅफट चेतावनी प्रणाली एक एडवांस अर्ली वार्निंग सिस्टम है, जो  राॅबोटिक सेंसिंग प्लेटफार्म, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, पूर्वानुमान विश्लेषण और क्लाउड मेटा डाटा को मिलाकर बनता है। ये प्रणाली आॅटोनोमस्ली रोग रोधी जीवों की निगराणी करेगी। जैसे मच्छरों द्वारा कौन सी नयी बीमारी फैलाई जा रही है। इसका राॅबोट द्वारा नमुना एकत्र किया जाता है और फिर इसके अनुवांशिक परीक्षण कर जैविक खतरों का पता लगाया जाता है। माइक्रोसाॅफट की ऐसी चेतावनी प्रणाली अगले कुछ सप्ताह में उपलब्ध हो जाएगा। एक अनुमान के अनुसार, 60 से 70 प्रतिशत संक्रमित बीमारियां जानवरों द्वारा लोगों में फैलाया जाता है। जैसे जिका, डेंगू और वर्तमान में कोविड 19। इसमें कोई शक नहीं कि भविष्य में बेहतर स्वास्थ्य की आश नये अविष्कारों पर टिकी है। माइक्रोसाॅफट कंपनी स्वास्थय पूर्वानुमान 24 घंटे पहले नहीं एक महीने पहले बता सकने पर काम कर रही है।



मंत्रीजी, होम क्वरंटाइन में घुमे जा रहे हैं

 बतौर केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री कोरोनाकाल में अश्वनी चैबे की जिम्मेवारियां काफी बढ जानी चाहिए। क्योंकि आम लोग उनकी हरेक गतिविधियों खासक...