Monday, September 11, 2017

'बीहड़ में तो बागी रहते हैं. डकैत तो पार्लियामेंट में होते हैं'

साल भर में दागी जनप्रतिनिधियों के मामले निपटाने का दावा करने वाली सरकार सूचना साझा तक करने में आनाकानी कर रही है.
(3 मिनट में पढ़ें )
'बीहड़ में तो बागी रहते हैं. डकैत तो पार्लियामेंट में होते हैं.' याद कीजिए फिल्म पान सिंह तोमर के इस डायलॉग पर खूब तालियां बजी थी. उसी दौर में सड़क पर संसद के साख को लेकर भी सवाल उठे थे. जनलोकपाल आंदोलन. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले ही भाषण में यह सवाल छेडा था कि फास्ट ट्रैक अदालतों के जरिए साल भर में दागी सांसदों के मामले निपटाये जाये. मौजूदा लोकसभ में 186 सांसद दागदार हैं. वहीं दागी विधायकों के आंकडे हैरान कर देने वाले हैं. लगभग 30 फीसदी विधायकों के खिलाफ विभिन्न अदालतों में मामले चल रहे हैं. यह पूरा मामला खासा गंभीर है कि दागी सांसदों या विधायकों की संपत्ति में सबसे ज्यादा इजाफा उनके सांसद या विधायक बनने के बाद होता है. एडीआर की सूचना के मुताबिक 2014 में फिर से जीते 320 सांसदों की संपत्ति में 100 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया. इनमें 26 सांसद ऐसे हैं जिनकी संपत्ति 500 फीसदी, 4 की 1000 फीसदी और 2 की 2000 फीसदी बढी. प्रथम दृष्टि में यह आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का मामला लगता है. इसी मसले को लेकर एनजीओ लोक प्रहरी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. ऐसे नेताओं की संपत्ति जांच की मांग के साथ ही एनजीओ ने कोर्ट से अपील की है कि चुनाव के दौरान ऐफिडेविट में 'आय का स्रोत'  का कॉलम जोड़ा जाए. मामले पर सुनवाई के दौरान पिछले दिन कोर्ट ने पूछा था, ऐसा लगता है जैसे केंद्र इस मामले में सूचना बांटने में कुछ अनिच्छुक दिख रहा है. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) हलफनामे में सूचना अधूरी है. क्या यह भारत सरकार का रुख है?' कोर्ट ने पूछा, 'आपने अब तक क्या किया है? सरकार कह रही है कि वह कुछ सुधार के खिलाफ नहीं है. वहीं आज की सुनवाई के दौरान सीबीडीटी ने कोर्ट को बताया कि लोकसभा के 7 सांसदों और राज्यों के करीब 98 विधायकों की जांच की जा रही है. इन सांसदों और विधायकों की संपत्ति में 'काफी बढ़ोतरी' हुई है. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में इन लोकसभा सांसदों और विधायकों के नाम को एक सीलबंद लिफाफे में पेश करेगी. 

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