Wednesday, September 27, 2017

डॉ साहेब के लिए जैसे 2012 था, क्या वैसे ही मोदी के लिए 2022 है?

(3 मिनट में पढ़ें )
यह महज इत्तेफाक है या पूर्ववर्ती या वर्तमान सरकार की एक जैसी कार्य प्रणाली? या एक जैसी राजनीतिक रणनीति? पूर्व पीएम डाॅ. मनमोहन सिंह ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान लगभग हरेक महत्वपूर्ण योजनाओं की कार्यावधि वर्ष 2012 निर्धारित की थी. अब वर्तमान नरेंद्र मोदी सरकार भी इसी लकीर पर चलते हुए वर्ष 2022 को अपने महत्वकांक्षी योजनाओं को पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित कर रही है. यूपीए प्रथम कार्यकाल के बाद तीसरे साल योजनाओं को पूरा करने की मियाद तय की गयी थी. अब इसी प्रकार मोदी सरकार भी 2019 के बाद तीसरे साल. है न एक जैसी मियाद. मोदी 2019 आम चुनाव में अपनी जीत पक्की मान रहे हैं. मोदी ने कहा है, 2022 में देश आजादी की 75वीं वर्षगांठ मनाने जा रहा है. ऐसे में सभी लंबित परियोजनाएं हर हाल में 2022 तक पूरी हो जानी चाहिए. वहीँ लगभग सभी महत्वकांक्षी योजनाओं मसलन, सबके लिए आवास, बुलेट ट्रेन, हर घर बिजली, किसानों की आय में दोगुनी वृद्धि, स्वच्छ भारत, ओटीएफ, कालेधन से मुक्ति, आतंक, नक्सल व कश्मीर समस्या से मुक्ति, गरीब कल्याण योजना, कौशल विकास, स्मार्ट सिटी, सौर उर्जा, नमामदी गंगे के तहत गंगा किनारों को शौच मुक्त, आदी सहित सौ से ज्यादा योजनाओं को पूर्ण करने की मियाद 2022 तय की गयी है. यानी मोदी की शब्दों में कहें तो देश 2022 में न्यू इंडिया बनकर उभर जायेगा. यूपीए प्रथम सरकार ने भी 70 से अधिक योजनाओं मसलन, निर्मल भारत योजना, राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण, भारत निर्माण के तहत सभी को पेयजल ग्रामीण संचार सुविधा, सभी गांवों को सडक से जोडना, सिंचाई आदि को पूर्ण करने का वर्ष 2012 तय किया था. दोनों सरकार इस मामले में न सिर्फ एक लकीर पर चलती नजर आ रही हैं, बल्कि योजनाओं के नाम भले ही परिवर्तित हों लेकिन एक जैसी भी हैं. अब ऐसे में सवाल खड़ा होना लाजमी है कि क्या प्रथम कार्यकाल की समाप्ति के तीन साल बाद मियाद तय करना किसी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है? ताकि मतदाताओं को हिसाब न देना पड़े. और अंत में क्या डॉ साहेब या असली कांग्रेसी रणनीतिकार मोदी के गुरु साबित हो रहे हैं? 

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