Monday, September 25, 2017

पोलिटिकल फैमिली प्लानिंग? राजनीतिक परिवार नियोजन?

(3.5 मिनट में पढ़ें) 
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बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने वंशवाद पर दिए गए बयान को लेकर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को निशाने पर लिया. उन्होंने कहा, 'राहुल भारत की गरिमा को नकार रहे हैं. वंशवाद कांग्रेस की संस्कृति है. वह देश को वंशवाद ही देना चाहते हैं, लेकिन देश की जनता वंशवाद की राजनीति को नकारती है.' गौरतलब है कि पिछले दिनों अमेरिकी दौरे पर गए राहुल गांधी ने बर्क्ली यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स को संबोधित करते हुए कहा था कि भारत में अधिकांश पार्टियों के अंदर वंशवाद की समस्या है. पूरा देश ऐसे चल रहा है. अब आइए कुछ आंकड़ों पर गौर करें. 2014 लोकसभा चुनाव में 22 फीसदी वंशवादी राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले सांसद चुन कर आये. इन सांसदों का ताल्लुक लगभग सभी राजनीतिक दलों से है. निःसंदेह इनमें कांग्रेस सबसे आगे रही. 48 फीसदी,  इसके सांसद वंशवादी पृष्टभूमि से हैं. भाजपा भले ही वंशवादी राजनीति से खुद को अछूती पार्टी बताती हो, लेकिन सच्चाई ऐसा है नहीं. 15 फीसदी इसके सांसद वंशवादी हैं. सांसदों की संख्या के लिहाज से देखें, तो इस मामले में भाजपा कांग्रेस से कहीं आगे हैं. पूर्व पीएम वाजपेयी के सम्बन्धी करुणा शुक्ला व अनुप मिश्रा भाजपा के सांसद रहे. कई मुख्यमंत्रियों व पूर्व के पुत्र भी इस श्रेणी में आते हैं. कल्याण सिंह, वसुंधरा राजे, रमन सिंह, प्रेम कुमार धुमल, भैरों सिंह शेखावत, साहेब सिंह वर्मा, बीएस येदियुरप्पा, बाबुलाल गौर और सुंदरलाल पटवा आदि. हां , मौजूदा दौर में पार्टी के अग्रिम पंक्ति में वंशवादी पृष्ठभूमि वाला शायद कोई नेता विराजमान नहीं है.
अन्य दलों  एक नजर दौरा लिया जाये. यूपी और बिहार की ही बात नहीं है. पंजाब, कश्मीर, महाराष्ट्र, हरियाणा, कर्नाटक, ओडीशा, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, असम, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना- गिनेचुने राज्य ही होंगे जहां हमें वंशानुगत राजनीति के कोई उदाहरण नहीं मिलते. जैसे त्रिपुरा, बंगाल, केरल या दिल्ली और कुछ पूर्वोत्तर के राज्य. गांधी परिवार के अलावा यूपी में यादव परिवार, बिहार में लालू परिवार, पंजाब में बादल, महाराष्ट्र में ठाकरे और पवार, ओडीशा में पटनायक और तमिलनाडु में करुणानिधि परिवार पिछले कई दशकों से भारतीय राजनीति में वंशवाद के सबसे बड़े खिलाड़ी परिवार बने हुए हैं. ब्रिटिश लेखक और इतिहासकार पैट्रिक फ़्रेंच ने अपनी 2011 में आई मशहूर किताब इंडियाः अ पोट्रेट में लिखा था कि 'वह दिन दूर नहीं जब भारत में एक तरह से राजशाही जैसी कायम हो जाएगी. ऐसा समय जहां पीढ़ीगत व्यवस्था के तहत कोई शासक गद्दी पर होगा. उन्होंने तो ये आशंका भी जाहिर कर दी थी कि भारतीय संसद कुनबों का सदन हो जाएगा.' अंत में यक्ष प्रश्न, नेताजी पोलिटिकल फैमिली प्लानिंग अर्थात राजनीतिक परिवार नियोजन कब करवाएंगे? 

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