Friday, September 15, 2017

असम 'प्रणाम'. माता - पिता की नहीं उठाई जिम्मेदारी तो कटेगी 10 -15% सैलरी.

(2 मिनट में पढ़ें ) 
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अगर असम राज्य का कोई सरकारी सेवक अपने माता-पिता (आश्रित) की जिम्मेदारी उठाने से भागता है, तो उसकी सैलरी से 10 फीसदी रकम काट कर उसे मां-बाप के खाते में डाल दिया जायेगा. इसके अलावा अगर सेवक अपने ऊपर आश्रित दिव्यांग भाई या बहन की भी जिम्मेदारी उठाने से भागता है तो उसकी सैलरी से 5 फीसदी रकम की अतिरिक्त कटौती होगी. देश में पहली बार इस तरह का कोई कानून बनाया गया है. यह ऐतिहासिक कानून असम की सर्वानंद सोनोवाल सरकार ने  बनाया है. 126 सदस्यों वाली असम विधानसभा ने गत शुक्रवार को असम एम्पलॉयीज पैरंट्स रेस्पॉन्सिबिलिटी ऐंड नॉर्म्स फॉर अकाउंटैबिलिटी ऐंड मॉनिटरिंग बिल-2017  'प्रणाम' को  पास किया. विधानसभा में चर्चा के दौरान स्वास्थ्य व वित्त मंत्री हेमंत बिस्वा शर्मा ने कहा कि उनकी सरकार को यह मंजूर नहीं कि कोई भी शख्स अपने बुजुर्ग मां-बाप को ओल्ड एज होम में छोड़कर जाए. साथ ही उन्होंने दावा किया कि 'प्रणाम' जैसा कानून बनाने वाला असम देश का पहला राज्य है. उन्होंने निकट भविष्य में निजी क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों को भी इस कानून के दायरे में लाने की बात कही. वहीं कांग्रेस ने 'प्रणाम' का विरोध करते हुए कहा कि यह प्रदेश के समाज को नीचा दिखाने वाला कानून है. पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने कहा, 'यह बीजेपी का तरीका है, दुनिया को यह बताने के लिए कि असमिया क्रूर हैं और आम तौर पर अपने माता-पिता की देखभाल नहीं करते हैं.'  

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