Friday, September 8, 2017

अपने देश में शरणार्थी...

अपने देश में शरणार्थी.......
मेमरी गली (2 मिनट में पढ़ें )
9 September 2015 ·
फोटो खूब दिखा रहलैइ ह. हां....हां हमु देखलिएइ ह. लेकिन, समझ में न अइलइ कि की बात हई. अकील भाई तू त खूब अखबार पढह अ टीवी पर खाली न्यूजए. त तू ही बातबअ. अकील भाई-सीरिया एगो देश हइ. उहां न आतंकवादी आइएसआइएस वाला सब भारी तबाही मार-काट मचैले हइ. अइसन में सब लोग अपन-अपन घर दुआर छोड़ छारके दूसर देश भाग रहले ह. दूसर दूसर देश में जाइला समुंदर पार करे परे हइ. इही में कोई नाव डूब गेलइ त राम नाम सत, अल्हा के प्यारे. एैसे ही एगो बच्चा... का नाम, रुक अखबार देखे दे, हां....तीन साल के एलन कुर्दी. बह के किनारे लग गइलै. ओकरे एगो पुलिसवाला के गोदी लेले फोटो हइ. लाखो लोग कैसहुं कैसहुं दूसर दूसर देश में भाग रहलइ ह. दूसर देश सब कहे हइ कि हम दस लाख लोग को रखेंगे तो कोई पांच लाख. बड़ा मन दुखित हो गेलइ. अहो अकील भाई हमु सब त शरणार्थीये न हियइ. अपन राज्य से बाहर हिंया प्रदेश में. दूर बूरबक. फालतू बात न कर. ऐह अकील भाई मान ले लिय कि ज्यादा नइ पढलिएै. लेकिन एगो बात बताबअ. घर से हिंया काहे अलिअइ. जब घर से हिंया आबे ला ट्रेन में चहरलिएै त रास्ता में टीटिया अ पुलिसबा साला पैसा काहे लेलकई. इ नाव जैसन बात नई होलइ. कोचम कोच ट्रेन के डब्बा कइसहूं दम साध के अइलिअइ. बाप रे बाप मरते मरते कैसहुं. बात करइछ. हिंया रहेला एगो कमरा दसगो लोग. रोज सुबह में मंडावली चैक पर खड़ हो जा. कोई आबे त दू न तीन सौ रुपयइा पर दिहारी ला लैजइतइ. कोई लंपटबा मिल गेलअउ त बिहारी कह के गलिया भी दे हइ. एक बार परसूए त सरोजबा के तीन चार थोपी मारबो कैलइ. माइ बाप, कनिया बच्चा सब के छोड़ के. कोई मरियो जेतई, त पंहुचबहो. अकील भाई- कुछ बात त तोहर सहीये हउ. कुछ नै सब सही. दूसर दूसर देश में पहुंचे वाला कि गती होबेत होतई. जैसे हमसब बंबई जा हियइ त औसने ना.....हां हुउां कि बोलअ तू आइएस....हां आइएसआइएस अतंकवदिया सब. अब अपन बिहार में कौन आइएसआइएस हई, जे हम सब इ गती में हियइ. ...............
यह संवाद दिल्ली के मंडावली इलाके के एक चौक पर सुबह खड़े रहने वाले कुछ बिहारी प्रवासी मजदूरों के बीच की है. अब कोई बताए इन्हें कि उनके ऐसे हालात के लिए राज्य के आइएसआइएस कौन हैं...किसी को तो जिम्मेवारी लेनी होगी.

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