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’मैं पत्थरबाज नहीं हूं. मैंने अपने जीवन में कभी एक ढेला तक किसी पर नहीं फेंका. मैं तो शॉल पर कढाई का काम करता हूं और थोड़ा - बहुत बढई का काम जानता हूं. मैं यही करता हूं.’ - फारुक अहमद डार. मेजर लितुल गोगोई द्वारा कश्मीर में पत्थरबाजों से निपटने के लिए एक युवक को जीप से बांधकर ढाल की तरह इस्तेमाल करने वाली तस्वीर याद है? वह युवक फारुक अहमद डार ही था. पुलिस जांच से तथ्य सामने आया है कि डार पत्थरबाजों का रिंग लिडर नहीं (जैसा बताया गया था), बल्कि आम वोटर था. जांच के दौरान पाया गया कि पीड़ित डार अपने गांव चिल में मतदान करने के बाद मित्र हिलाल अहमद के साथ गमपोरा में आयोजित एक शोक सभा में शामिल होने निकला. दरअसल, गत 9 अप्रैल को उप चुनाव के दौरान बीरवाह पुलिस थाना इलाके में कई जगहों पर पत्थरबाजी की घटना हुई. शोक सभा से लौटने के दौरान उटलीगाम में उसे आर्मी ने उठा लिया. इसके बाद की तस्वीर देश भर में लोगों के जेहन में आज भी कैद है. आउटलुक से बात करते हुए डार ने कहा कि उस दिन सुबह वोट डालने के बाद मां के साथ चाय पी. और पडोसी गांव शोक सभा में शामिल होने चल दिया. मैंने 2014 में भी वोट डाला था, ताकि गांव में अच्छी सड़क बन सके. पुलिस की जांच रिपोर्ट बडगाम के एसएसपी ने राज्य के डीजीपी को पिछले महीने ही सौंप दिया है. 9 अप्रैल की घटना के बाद मेजर गोगोई ने घटनाक्रम बताया था, खुद से करीब 30 मीटर की दूरी पर एक शख्स दिखा, जो पथराव करने के साथ साथ भीड़ को उकसा रहा था. इसके बाद उन्हें अपनी क्विक रेस्पॉन्स टीम के साथियों से उस शख्स को पकड़ने के लिए कहा. जिसे बाद में जीप से बांधा गया था. ऐसा करते ही पत्थरबाजी रुक गई और उन्हें सभी पोलिंग अफसरों और सुरक्षाकर्मियों को लेकर वहां से निकलने का मौका मिल गया.अगर वह फायरिंग का आदेश देते तो कम से कम 12 लोग मारे जाते. राज्य सरकार डार को दस लाख रूपये देने वाली है.
’मैं पत्थरबाज नहीं हूं. मैंने अपने जीवन में कभी एक ढेला तक किसी पर नहीं फेंका. मैं तो शॉल पर कढाई का काम करता हूं और थोड़ा - बहुत बढई का काम जानता हूं. मैं यही करता हूं.’ - फारुक अहमद डार. मेजर लितुल गोगोई द्वारा कश्मीर में पत्थरबाजों से निपटने के लिए एक युवक को जीप से बांधकर ढाल की तरह इस्तेमाल करने वाली तस्वीर याद है? वह युवक फारुक अहमद डार ही था. पुलिस जांच से तथ्य सामने आया है कि डार पत्थरबाजों का रिंग लिडर नहीं (जैसा बताया गया था), बल्कि आम वोटर था. जांच के दौरान पाया गया कि पीड़ित डार अपने गांव चिल में मतदान करने के बाद मित्र हिलाल अहमद के साथ गमपोरा में आयोजित एक शोक सभा में शामिल होने निकला. दरअसल, गत 9 अप्रैल को उप चुनाव के दौरान बीरवाह पुलिस थाना इलाके में कई जगहों पर पत्थरबाजी की घटना हुई. शोक सभा से लौटने के दौरान उटलीगाम में उसे आर्मी ने उठा लिया. इसके बाद की तस्वीर देश भर में लोगों के जेहन में आज भी कैद है. आउटलुक से बात करते हुए डार ने कहा कि उस दिन सुबह वोट डालने के बाद मां के साथ चाय पी. और पडोसी गांव शोक सभा में शामिल होने चल दिया. मैंने 2014 में भी वोट डाला था, ताकि गांव में अच्छी सड़क बन सके. पुलिस की जांच रिपोर्ट बडगाम के एसएसपी ने राज्य के डीजीपी को पिछले महीने ही सौंप दिया है. 9 अप्रैल की घटना के बाद मेजर गोगोई ने घटनाक्रम बताया था, खुद से करीब 30 मीटर की दूरी पर एक शख्स दिखा, जो पथराव करने के साथ साथ भीड़ को उकसा रहा था. इसके बाद उन्हें अपनी क्विक रेस्पॉन्स टीम के साथियों से उस शख्स को पकड़ने के लिए कहा. जिसे बाद में जीप से बांधा गया था. ऐसा करते ही पत्थरबाजी रुक गई और उन्हें सभी पोलिंग अफसरों और सुरक्षाकर्मियों को लेकर वहां से निकलने का मौका मिल गया.अगर वह फायरिंग का आदेश देते तो कम से कम 12 लोग मारे जाते. राज्य सरकार डार को दस लाख रूपये देने वाली है.
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