Monday, September 4, 2017

हाई कोर्ट को था अनीता जैसी अनहोनी का अंदेशा, इसलिए की थी अपील


सभी विद्यार्थियों और अभिभावकों के लिए यह पढ़ना जरुरी
अनीता प्रकरण भाग - एक 
(2. 5  मिनट रीड )
'ऐसा सोचना कि मेडिकल सीट हासिल करना ही जीवन है, बच्चे व उनके अभिभावकों को कोई गलत कदम मसलन आत्महत्या नहीं उठाना चाहिए.' गत 24 अगस्त को मद्रास हाई कोर्ट के जज जस्टिस एन किरुबकरन ने नीट उम्मीदवार अनीता जैसी ही एक दूसरी छात्रा एस किरुतिका के मामले पर फैसले में यह कहा था. इसके एक सप्ताह के भीतर ही अनीता ने आत्महत्या कर ली. फैसले में बच्चों व अभिभावकों को समझाते हुए कहा गया, 'यह अदालत बच्चों और साथ ही उनके अभिभावकों की मनः स्थिति को लेकर चिंतित है, जो मेडिकल काॅलेज में एक सीट के लिए सपने देख रहे थे और इसके लिए अथक परिश्रम में जुटे थे. जब लक्ष्य पहले से तय हो गया हो, तब ऐसे में निश्चित रूप से कोई हताश व निराश ही महसूस करेगा और वह सोचने पर मजबूर होगा कि अब दुनिया उसके लिए खत्म हो गई, जोकि स्वभाविक है. एक लक्ष्य के हासिल ने होने से सब कुछ समाप्त नहीं हो जाता. बच्चों व अभिभावकों को महसूस करना चाहिए कि भगवान ने उनके लिए बेहतर भविष्य आरक्षित कर रखा होगा और यही कारण है कि फ़िलहाल उन्हें इस अपरिहार्य स्थिति में रखा है. इसलिए बच्चों व अभिभावकों को निराश महसूस नहीं करना चाहिए और वास्तविकता को समझते हुए आगे बढना चाहिए. हालाकि यह काफी कठिन है, उन्हें कोई दूसरा लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए, जिसे वे आसानी से अपने जीवन में हांसिल कर सकें. यह अदालत याचिकाकर्ता जैसे सभी विद्यार्थियों को जिन्हें मेडिकल सीट नहीं हांसिल हो सका याद दिलाना चाहती है कि असफलता सफलता की ओर बढता एक कदम है. दुनिया बहुत बड़ी है और राह व मौके बहुत हैं. दुनिया अब छोटा सा ग्लोबल गांव बन गया है. मौका सिर्फ देश के राज्यों तक ही सीमित नहीं रहा बल्कि दुनिया भर में फैल गया है. इसलिए यह अदालत अभिभावकों व बच्चों से अपील करती है कि वे अपना मन छोटा न करें और कोई गलत निर्णय न लें. अगर उनका लक्ष्य केवल मेडिकल कोर्स में ही दाखिला के लिए ही निर्धारित है, तो वे खुद को भविष्य के नीट एग्जाम के लिए बेहतर तरीके से तैयारी करें और सफलता हासिल करें. निश्चित रुप से, अदालत बच्चों व अभिभावकों के दुख दर्द को समझती है. बच्चे निराश होंगे, क्योंकि उन्हें जीवन का लक्ष्य हासलि नहीं हो सका. कोई गलत निर्णय लें,  इससे पहले सरकार का दायित्व बनता है कि ऐसे बच्चों व अभिभावकों का कॉउंसलिंग करवाये. सरकार प्रसिद्ध व्यक्तित्व को मीडिया के जरिए बच्चों को गलत कदम न उठाने और उन्हें प्रेरित करने के लिए सामने लाये. आज की घडी में इसकी जरूरत है. यह अदालत शिक्षाविदों और सिने कलाकारों से अपील करती है कि वे प्रभावित विद्यार्थियों को निराशा के भाव से निकलने व प्रेरित करने के लिए सलाह दें. राजनेताओं द्वारा इसे राजनीतिक मुद्दा बनाने से इतर प्रभावित छात्रों व अभिभावकों का कॉउंसलिंग करना चाहिए. यह घाव पर मलहम लगाने जैसा होगा.'
#AnithaSuicide

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