Wednesday, September 20, 2017

असंसदीय सांसदों का फास्टेट फिंगर फर्स्ट

(तीन मिनट में पढ़ें )
'असंसदीय' भाषा. यह गुजरे दिनों की बात हो गई! आवाजें गुम हो चुकी हैं. इसकी जगह अब हमारी उंगलियों ने ली हैं. खासकर, राजनीतिज्ञों का फास्टेट फिंगर फर्स्ट तो लाजवाब है. आज के सोशल मीडिया के दौर में असंसदीय सांसदों की फेहरिस्त काफी लंबी होती जा रही है. देश की सबसे बड़ी दो पार्टियों के नेताओं के बीचं एक दूसरे पर सियासी वार का हथियार बन चुका ट्विटर अभद्रता व असंसदीय मिसाइलों का लॉन्चिंग पैड बन चुका है. यूपीए शासन काल के दौरान मनीष तिवारी एक ऐसे नेता थे, जिन्हें हमलोग अमूमन रोजाना न्यूज चैनलों, अखबारों में देखते-पढते रहते थे. लेकिन, अब उनके ट्वीट! बीप...बीप... चू %%##-ः कुछ लोगों ने उन्हें प्रतिक्रिया में 'ट्वीट - लादेन' की संज्ञा से भी नवाजा. तिवारी के सीनियर बयानवीर दिग्विजय सिंह. उनका तो कहना ही क्या? सब जगजाहीर है. जिन शब्दों को परिवार के लोगों के साथ साझा करने में शर्मिंदगी होगी, उन्हें वे सार्वजनिक तौर साझा कर रहे हैं. वहीं दिल्ली के जेंटलमैन सीएम अरविंद केजरीवाल. पीएम मोदी को कायर, मनोरोगी... तक बता डाला. इस कड़ी में हमारे तकनीकी व देश के प्रधान सेवक पीएम मोदी भी अछूते नहीं हैं. ट्विटर पर बदजुबानी करने वाले लोगों को फॉलो करना. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लेकर बाथरुम में रेन कोट पहनकर नहाने वाला बयान. लेफ्ट हो या राइट अनादर व हिंसा का पाठ पढाने में कोई पीछे नहीं है. गायक अभिजीत का ही उदाहरण याद कर लिजिए. जेएयू प्रकरण में उनके ट्वीट. लज्जा... आज के अधिकतर नेता और गौरव दो समानांतर लाइन जैसे हो गये हैं, जो एक दूसरे से कभी मिलते ही नहीं दीखते. नेता व गौरव एक पटरी पर चलने वाले नेता की कड़ी शायद पूर्व पीएम वाजपेयी तक ही द एन्ड. आजादी के बाद के नेताओं के संघर्ष का मुकाबला आज के नेता क्या खाक करेंगे? तमाम मुश्किलातों व झझावतों के बावजूद उन लोगों ने कभी आपा नहीं खोया. तमाम मतभेदों व विरोधों के बावजूद उन लोगों की शालीनता हमारे लिए अनुकरणीय है. वहीं महिला नेता भी असंसदीय मुकाबलों में अपने समकक्ष पुरुष नेताओं से कहीं कम नहीं दिखतीं. शायना एनसी के कुछ ट्वीट्स याद हैं? आज के हमारे नेता गांधीजी के तीन बंदरों की पंरपरा से बहुत दूर आ गये हैं.
संदर्भ साभार - ज्योत्सना मोहन भार्गव

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