Tuesday, September 5, 2017

जिसने निर्विरोध निर्वाचित करवाया वही सदस्यता समाप्त करवाने पर उतारू

(एक मिनट में पढ़ें )
तत्कालीन जदयू अध्यक्ष शरद यादव मधेपुरा से 2014 लोकसभा चुनाव हार गये थे. बाद में उसी साल जून में बिहार से राज्यसभा चुनाव में निर्विरोध निर्वाचित हुए. इसी तरह फिर 2016 में राज्यसभा चुनाव में निर्विरोध चुने गये. जदयू के सबसे अधिक समय तक अध्यक्ष रहे शरद यादव को अब पार्टी सांसद के तौर पर भी नहीं देखना चाहती. पार्टी ने पहले उन्हें राज्यसभा में नेता पद से हटाया. वहीँ आज राज्यसभा में जदयू संसदीय दल के नेता  आरसीपी सिंह और पार्टी महासचिव संजय झा उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू को शरद यादव की संसदीय सदस्यता ख़त्म करने के लिए आवेदन सौंपा. जदयू ने राज्यसभा के नियमावली शेड्यूल 10 के तहत उनकी सदस्यता खारिज करने की मांग की है. पार्टी नेे पूर्व राज्यसभा सांसद मुफ्ती मोहम्मद सईद और वर्तमान में केंद्रीय राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की सदस्यता समाप्त करने का उदाहरण दिया है. गौरतलब है कि शरद यादव की राज्यसभा सदस्यता 2022 तक के लिए है. पार्टी ने उन्हें राजद की 'भाजपा भगाओ-देश बचाओ' रैली में शामिल नहीं होने का अल्टीमेटम दिया था. लेकिन वह रैली में शामिल हुए. शेड्यूल 10 के तहत अगर कोई सांसद खुद से पार्टी का परित्याग करता है या पार्टी विरोधी गतिविधि के दस्तावेजी सबूत से सभापति संतुष्ट हो जाते हैं, तो उसकी सदस्यता तत्काल प्रभाव से समाप्त हो सकती है. वहीँ दूसरी तरफ खुद को असली जदयू बताने वाले शरद भी जल्द हथियार डालते नजर नहीं आ रहे हैं. जदयू पार्टी व अपनी सदस्यता को लेकर कानूनी जंग का आगाज पहले ही कर चुके हैं.  

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