Tuesday, September 5, 2017

नोटबंदी मामले में सबसे बड़ा पेंच

(डेढ़ मिनट में पढ़ें )
नोटबंदी या नोटबदली का निर्णय सही था या गलत था? इसे लेकर आरोप-प्रत्यारोप और बहस का दौर जल्द थमता नजर नहीं आ रहा. लेकिन, इससे जुडे कई पेंच अब सामने आ रहे हैं. ऐसा ही एक बड़ा पेंच नई दिल्ली के आरुषी जैन और अपूर्व जैन से जुड़ा सामने आया है. इनके माता-पिता की मौत 9 साल पहले एक सड़क दुर्घटना में हो गई थी. तब ये दोनों नाबालिग थे. जब वे बालिग हुए और कोर्ट के आदेश के बाद गत 17 मार्च को माता-पिता का बैंक लाॅकर खोला गया. इस लाॅकर से 60 लाख रुपये मिले. 500 व 1000 के पुराने नोट. यह सब पुराने नोट बदलने की निर्धारित तारीख से लगभग ढाई महीने बाद का मंजर है. अप्रैल महीने में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक जवाब में कहा था, 30 दिसंबर, 2016 व एनआरआइ के लिए 31 मार्च, 2017 तक नोट बदलने की मियाद को नहीं बढाया या बदला जा सकता. चूंकी आरुषी व अपूर्व का मामला साकेत उतराधिकार कोर्ट में लंबित होने से भी जुड़ा है. साथ ही लाॅकर उनके माता-पिता के कस्टडी में था. लिहाजा, जब तक प्रशासन द्वारा लाॅकर खोलने की अनुमती नहीं मिलती, तब तक उसे कैसे खोला जाता. इसलिए भाई -बहन निर्धारित तारीख के अंदर पुराने नोट को किसी बैंक या आरबीआई मेें जमा कराने में असमर्थ रहे. चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच ने आरबीआई, कानून मंत्रालय और वित मंत्रालय को इस मामले में चार सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया है. वहीं सुप्रीम कोर्ट में एक और दिलचस्प मामला सामने आया है. आइपीएल सट्टेबाजी मामले में श्रीसंत के साथ गिरफतार अभिषेक शुक्ल ने भी साढे पांच लाख पुराने नोट बदलवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. दरअसल, शुक्ल के पास से यह रकम जांच एजेंसी ने जब्त की थी और अब जाकर रिलीज़ किया है.

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