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राजनेता सामान्य अभिभावक की तरह स्कूल दर स्कूल जायें. आंकलन करें. महसूस करें. कि स्कूल बच्चों के लिए कितने सुरक्षित हैं? यह मांग बाल यौन शोषण के खिलाफ युद्ध का शंखनाद करने वाले नोबल विजेता कैलाश सत्यार्थी ने की है. 'सुरक्षित बचपन - सुरक्षित भारत' के नारे के साथ भारत यात्रा पर निकले सत्यार्थी ने स्कूलों की बदतर सुरक्षा व्यवस्था पर जोरदार हमला करते हुए कहा कि इसी कमी के कारण बलात्कार, बाल यौन शोषण व छेड़छाड़ की घटना बढ रही है. उन्होंने कहा, 'मैं देश के सभी राजनीतिक दलों से आग्रह करता हूं कि वे सामान्य अभिभावक के तौर पर स्कूल जायें. खुद से देंखे. वहां का वातावरण महसूस करें. सवाल करें. स्कूलों को सिखने और बच्चों के स्वर्ग के तौर पर देखा जाता है. यह प्रताड़ना का स्थान नहीं बनना चाहिए. अगर अब हम नहीं जागे और कड़ा कदम नहीं उठाया, तो हमारे बच्चे प्रताड़ित होते रहेंगे. और ऐसे में भारत को बच्चों के लिए सुरक्षित बनानेे का सपना अधूरा रह जाएगा.'
राजनेता सामान्य अभिभावक की तरह स्कूल दर स्कूल जायें. आंकलन करें. महसूस करें. कि स्कूल बच्चों के लिए कितने सुरक्षित हैं? यह मांग बाल यौन शोषण के खिलाफ युद्ध का शंखनाद करने वाले नोबल विजेता कैलाश सत्यार्थी ने की है. 'सुरक्षित बचपन - सुरक्षित भारत' के नारे के साथ भारत यात्रा पर निकले सत्यार्थी ने स्कूलों की बदतर सुरक्षा व्यवस्था पर जोरदार हमला करते हुए कहा कि इसी कमी के कारण बलात्कार, बाल यौन शोषण व छेड़छाड़ की घटना बढ रही है. उन्होंने कहा, 'मैं देश के सभी राजनीतिक दलों से आग्रह करता हूं कि वे सामान्य अभिभावक के तौर पर स्कूल जायें. खुद से देंखे. वहां का वातावरण महसूस करें. सवाल करें. स्कूलों को सिखने और बच्चों के स्वर्ग के तौर पर देखा जाता है. यह प्रताड़ना का स्थान नहीं बनना चाहिए. अगर अब हम नहीं जागे और कड़ा कदम नहीं उठाया, तो हमारे बच्चे प्रताड़ित होते रहेंगे. और ऐसे में भारत को बच्चों के लिए सुरक्षित बनानेे का सपना अधूरा रह जाएगा.'
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