हैप्पी बर्थ डे 'पीएम मोदी'
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नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व का एक अलग पहलू है, जो उनके व्यक्तित्व के प्रति विकर्षण पैदा करता है. हालांकि इस विकर्षण की वजह से जो प्रतिक्रियाएं पैदा हो रही हैं, वह मोदी की ताकत बन रही है. ऐसा पहले भी होता रहा है. मोदी का नाम घर-घर पहुंचाने का काम जितना समर्थक नहीं कर रहे हैं, उससे ज्यादा विरोधी कर रहे हैं. इस कड़ी में जाति-बिरादरी मायने नहीं रखती. इसकी जो अंतः क्रिया हो रही है, उसने नरेंद्र मोदी को सेंटर स्टेज पर ला खड़ा किया है. अभी तक मोदी ने जो बातें कहीं हैं, वे बातें संभवतः साधारण लोगों को अपील करने वाली हैं. मोदी नीतियों में मोटे तौर पर बदलाव से ज्यादा कारगर अमल की बात कर रहे हैं. उर्दू साप्ताहिक नई दुनिया से एक साक्षात्कार में मोदी ने कहा था, 'हम खुद अपने लिए चलैंज हैं, क्योंकि हम ने मैयार (बेंचमार्क) इतना बुलंद कर दिया है लोग हमारे मैयार पर हमें नापते हैं. मोदी 16 घंटे काम करता है, तो लोग कहते हैं 18 घंटे क्यों नहीं करता? लोगों की एक्स्पेक्टेशन नरेंद्र मोदी से बहुत ज़्यादा हैं. हमें खुद अपने रिकॉर्ड तोड़ने पड़ते हैं.' आप उन्हें पसंद करते हों या उनके आलोचक हों लेकिन व्यावहारिक रूप में वह हर समाचार के केंद्रीय विषय रहे हैं. यह अपने आप में एक उपलब्धि है. आप बेशक उनसे असहमत हों पर जो बातें वह कह रहे हैं वे आपको पूरी तरह मंत्रमुग्ध किए रखती हैं. बीच-बीच में उनकी शैली बेशक नाटकीय हो जाती है, कभी-कभार उनका विषय-वस्तु घिसा-पिटा हो जाता है और उनकी बातों में दोहराव आ जाता है. शी जिनपिंग से लेकर बराक ओबामा, शिंजो अबे से लेकर स्टीफन हार्पर और टोनी एबट से लेकर फ्रांसुआ ओलांदे तक के बिल्कुल ही अलग-अलग किस्म के नेताओं के साथ जिस सहजता और कौशल के साथ उन्होंने सुर-ताल बैठाया है वह अपने आप में कमाल है. जिस व्यक्ति को राजनीतिक रूप में कभी अछूत समझा जाता था उसके लिए यह उपलब्धि लगभग असंभव को संभव करने जैसी है. प्रधानमंत्री में अथाह ऊर्जा भरी हुई है. कभी छुट्टी न करने वाली उनकी बात हो सकता है कि मात्र हेकड़ी ही हो, तो भी इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि वह थकने का नाम नहीं लेते.
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