Saturday, September 9, 2017

सलाम करने की आरजू हैं ...इधर जो देखो सलाम कर ले

(1.5  मिनट में पढ़ें )
वैसे तो आज चेन्नै स्थित ऑफिसर ट्रेनिंग एकेडमी में ट्रेनिंग पूरा करने के बाद कई कैडेट सेना में ऑफिसर बने. लेकिन एसएसडब्लू (नॉन टेक ) के तहत 11 महीने की ट्रेनिंग के बाद आर्मी लेफ्टिनेंट बनी दो महिलाओं की बात ही अलग है. सबसे पहले उनके जज्बे को सलाम. किसी अपने को खोने के गम से उबरने में लोगों को सालों लग जाते हैं. जिंदगी दुश्वार लगने लगती है, जीने का कोई मकसद नजर नहीं आता. यह तो हुई आम लोगों की बात, लेकिन एक  नहीं दो महिलाओं ने अपने-अपने पति की मौत के बाद कुछ ऐसा किया है कि लोग उन्हें सलाम कर रहे हैं. इन दोनों में से एक 17 नवंबर, 2015 को कश्मीर के कुपवाड़ा में आतंकवादियों से लड़ते हुए शहीद हुए शौर्य चक्र व सेना मेडल से सम्मानित कर्नल संतोष महादिक की पत्नी स्वाति महादिक लेफ्टिनेंट बन गई हैं. वहीं हिर्दय गति रुक जाने की वजह से माहर रेजिमेंट के नायक मुकेश कुमार दुबे की पत्नी निधि मिश्रा दुबे भी आज लेफिनेंट हों गईं. एसएसडब्लू एग्जाम के समय स्वाति की उम्र 37 साल थी. सेना ने उन्हें विशेष अनुमति देते हुए उम्र में छूट प्रदान की है. वहीं निधि की आयु 29 साल थी. सैनिक विधवाओं की भर्ती के नियम में चार साल की छूट है. पति  के मौत के वक़्त  निधि 4 महीने की गर्भवती थी. उसके ससुराल वालों ने भी उसे निकल दिया था. ऐसे में तमाम दुश्वारियों को झेलते हुए सेना में भर्ती होना और ट्रेनिंग पूरा करना बेहद कठिन था. स्वाति दो बच्चों की मां है. स्वाति के अनुसार, उनके पति संतोष महादिक का पहला प्यार इंडियन आर्मी थी और उनका पहला प्यार संतोष थे. ऐसे में संतोष के प्यार और सपनों को जिंदा रखने और आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने आर्मी में जाने का फैसला किया. गांव में पली - बढ़ी स्वाति पेड़ पर चढ़ने, खो - खो , योगा आदि में निपुण थीं लिहाजा प्रशिक्षण में ज्यादा परेशानी नहीं हुई.   निधि चार बार असफल होने के बावजूद हिम्मत नहीं हारीं और पांचवी कोशिश में एसएसडब्लू पास की.  

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