Sunday, September 10, 2017

रुक जाना नहीं तू कहीं हार के...

(3.5 मिनट में पढ़ें )
प्रेरक व्यक्तित्व - 'मालविका अय्यर'
'दुर्घटना से पहले मेरा एक खुशहाल बचपन था. मैं खेल और क्लासिकल डांस में बहुत अच्छी थी. तभी बम बलास्ट की दुर्घटना घटी. इस दुर्घटना में मैंने अपने दोनों हाथ गंवा दिए. मेरे दोनों पैरों को भी गंभीर चोटे आईं. कई फ्रैक्चर. नर्व पैरालाइसिस. दो सालों तक बिस्तर पर. इन सब के बीच कई सर्जरी से गुजरी. असहनीय दर्द. लोगों का मुझ पर तरस दिखाना. चीजों को और बदतर बना रही थी. चोट के आगे परास्त होना नियती थी. मेरे लिए इसके आगे असहाय पड़े रहना एक विकल्प था. एक ऐसा विकल्प, जिसे मैं स्वीकार करना नहीं चाहती थी. धीरे-धीरे ठीक हो गई और दोबारा स्कूल जाना शुरू हुआ. शुरुआत में दूसरों के जैसा ही खुद को जताने की कोशिश की. जैसे की कुछ हुआ ही न हो. लेकिन, दुर्घटना के कारण लगी भावनात्मक आघात को स्वीकार करते हुए एक नये संभावनाओं के साथ नयी जीवन की शुरुआत की. मैं इस विचारों से घिरी बड़ी हुई थी कि लड़कियों को सुंदर होना चाहिए और शादी करनी चाहिए. जब से मैं दिव्यांग हुई, तो लोगों को लगा कि मेरी कहानी खत्म हो गई. लेकिन कोई क्या कहता है के इतर मेरी मां मेरे साथ खड़ी रही और मुझे महसूस कराया कि मैं दिव्यांग्ता के कारण औरों से अलग नहीं हूं. उसकी मदद से मेरा आत्मविश्वास व जूनून बढता गया. आपको जीवन में सफलता के लिए संपूर्ण शरीर की जरुरत नहीं है. एक मोटिवेशनल स्पीकर के तौर पर मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि है कि मैंने दुनिया भर में विभिन्न प्लेटफाॅर्मों के जरिए लोगों के जीवन में बदलाव लाया है. मैंने लोगों को सकारात्मक तरीके से लोगों को प्रभावित किया है. लोग अक्सर मुझे बताने के लिए वापस आते हैं कि उन्होंने जिंदगी से शिकायत करना छोड आशा के साथ जिंदगी जीना शुरू कर दिया है. मैं महसूस करती हूं कि मुझे जिंदगी में दूसरा मौका मिला है और मैं इस उपहार को लोगों को समझाने में कि 'जिंदगी में कभी हार नहीं माननी चाहिए' इस्तेमाल करते रहना चाहती हूँ. जीवन अनिश्चित है और हमें सदा इसके द्वारा लाये जाने वाली चुनौती का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए.'-----------------------------
28 मालविका अय्यर का जन्म तमिलनाडू के कुंबकोणम में हुआ था. महज 13 वर्ष की आयु में 26 मई, 2002 को बिकानेर में एक ग्रेनेड विस्फोट में दोनों हाथ खो दी. दरअसल, इसी साल के आरंभ में उनके आवास के नजदीक एक आयुध फैक्ट्री में आग लग गई थी. इसके बाद ग्रेनेड यहां-वहां बिखर पडे थे. इसी के चपेट में मालविका आ गईं. मौजूदा समय में वह बतौर दिव्यांग अधिकार कार्यकर्ता, मोटिवेशनल स्पीकर, फैशन मॉडल कार्य कर रही हैं. उन्होंने सामाजिक कार्य में पीएचडी किया है. संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा हाल ही में आयोजित यूथ फाॅरम में वह बतौर प्रेरक वक्ता के तौर पर देखी-सुनी गईं.

No comments:

Post a Comment

इस खबर पर आपका नजरिया क्या है? कृप्या अपने अनुभव और अपनी प्रतिक्रिया नीचे कॉमेंट बॉक्स में साझा करें। अन्य सुझाव व मार्गदर्शन अपेक्षित है.

मंत्रीजी, होम क्वरंटाइन में घुमे जा रहे हैं

 बतौर केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री कोरोनाकाल में अश्वनी चैबे की जिम्मेवारियां काफी बढ जानी चाहिए। क्योंकि आम लोग उनकी हरेक गतिविधियों खासक...