Saturday, September 30, 2017

राज्यपाल और मुख्यमंत्री एक साथ जूनियर मंत्री भी रहे

लोकसभा में कहा था, 'राजीव गांधी को 'अहीर' और 'यादव' के बीच फर्क तक नहीं पता'
(3.5 मिनट में पढ़ें )
बिहार के नवनियुक्त राज्यपाल सत्यपाल मलिक और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक साथ केंद्र में मंत्री भी रह चुके हैं. वीपी सिंह की राष्ट्रीय मोर्चा वाली सरकार में दोनों बतौर राज्य मंत्री की भूमिका निभा चुके हैं. सत्यपाल मलिक संसदीय मामलों के व नीतीश कुमार कृषि राज्यमंत्री बनाये गये थे. इस लिहाज से अब बतौर राज्यपाल और मुख्यमंत्री दोनों के बीच बेहतर तालमेल की उम्मीद जताई जा सकती है. ऐसे उदाहरण कम ही सामने आते हैं. मालिक पुराने घाघ राजनेता हैं. राजीव गांधी को सत्ता से बेदखल करने के लिए वीपी सिंह की अगुवाई में बने जन मोर्चा में शामिल आठ नेताओं में सत्यपाल मलिक भी शामिल थे. इस कुनबे में वीपी सिंह के अलावा अरुण नेहरु, आरीफ मोहम्मद खान, मुफती मोहम्मद सईद, विद्या चरण शुक्ल, राम धन, राज कुमार राय और सत्यपाल मलिक शामिल थे. और इसमें सफल भी रहे. एक बार राजीव गांधी के खिलाफ लोकसभा में तंज कसते हुए उन्होंने कहा था, 'राजीव गांधी को 'अहीर' व 'यादव' के बीच फर्क तक नहीं पता.' वहीं मालिक ने वीपी सिंह मंत्रिमंडल से इस्तीफा तक दे दिया था. दरअसल, तमाम विरोधों के बावजूद चौधरी देवीलाल ने अपने पुत्र ओम प्रकाश चौटाला को दोबारा हरियाणा का  मुख्यमंत्री बना दिया था. इससे नाखुश अरुण नेहरु, आरीफ मोहम्मद खान के साथ सत्यपाल मलिक ने भी इस्तीफा दे दिया था. ओम प्रकाश चौटाला को हटाने के लिए देवीलाल ने इन तीनों नेताओं को भी हटाने की शर्त रखी थी. हालांकि वीपी सिंह इसके लिए तैयार नहीं हुए थे. अंत में पहले बेटे को सीएम पद और बाद में ताउ को खुद मंत्री पद गंवाना पड़ा. तत्कालीन एक ज्वलंत मसले  को लेकर मलिक ने 27 अक्तूबर को कैबिनेट की बैठक में वीपी सिंह पर बरसते हुए कहा था, ’आपको गुमराह किया गया है, हम विभाजन की विरासत छोड़े जा रहे हैं, जिसके लिए हमें कभी माफ नहीं किया जा सकता. मलिक समाजवादी पार्टी होते हुए साल 2004 में भाजपा में शामिल हुए. पार्टी अध्यक्ष अमीत शाह ने उन्हें भूमि अधिग्रहण विधेयक के संबंध में किसानों से चर्चा की अहम जिम्मेवारी सौंपी थी. मलिक अब पार्टी मुख्यालय के बजाए राजभवन का शोभा बढाएंगे.

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