विदर्भ में आत्महत्या करते किसानों के बीच एक इंजीनियर से बने किसान की प्रेरक कहानी.
महाराष्ट्र के विदर्भ में एक जिला वाशिम. वाशिम तहसील. ए भाई, ये एक पेड़ में 51 किस्मों वाले आम का बाग जाने का रास्ता....उधर से जवाब आया, इंदिरा चौक पंहुचो. वहां शुक्रवार पेठ, पोस्ट मालेगांव रवि माधवराव मारशेतवार के बाग के बारे में पूछना, कोई भी बता देगा. बाग में यूं तो आम के कई छोटे बड़े लगभग हजार पेड़ दिखते हैं.सहज ही निगाह एक साधारण से दिखने वाले पुराने बड़े पेड़ पर टिक जाती है. यह क्या गैंग्स आॅफ वासेपुर वाले अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी जैसा कुछ-कुछ दिखने वाला एक शख्स खड़ा दीखता है. हर एक कदम के साथ पेड़ की तस्वीर साफ होती चली जाती है. यह क्या अलग-अलग तरह के आम. इसी बीच उस शख्स ने अभिवादन करते हुए खुद का रवि माधवराव मारशेतवार के तौर पर अपना परिचय देता है. चंद लम्हों तक लगा जैसा कोई जादू हो. हो भी क्यों नहीं. हम में से कितने लोग ऐसे होंगे, जो 51 तरह के आमों का स्वाद भी चखा होगा. हां, दिल्ली के आम महोत्सव या ऐसे दूसरे आयोजन में 11,00 से ज्यादा आमों की किस्में देखने को जरुर मिलती हैं. लेकिन एक ही पेड़ में 51 तरह के आम अपने आप में अजूबा है. लेकिन यह अजूबा करने वाले रवि ने एक ही पेड में पीठिया, दूधपेडा, लाडू, आम्रपाली, गौरानी, अलफांसों, आम्रपाली, हिमसागर, तोतापरी, केसर, फाजील, लंगडा, चैसा, मापदह, नीलम, दशहरी, सफेदा, जार्दालू, वनराज, फजली आदि जैसे 51 तरह के आम उपजाने में सफलता प्राप्त की है
. रवि ने बातौर सिविल इंजीनियर (1991 में पास आउट) खाड़ी देश में कार्य करने के बाद वर्ष 2001 में वापस वतन लौट खेती-किसानी को अपना लिया. बात आगे बढी तो उन्होंने बताया, यह 50 साल पुराना पेड़ है. पहले इसके आम का स्वाद भी अच्छा नहीं था. 1,350 ग्राफ्टिंग यानी कलम बांधकर 51 प्रकार के आम उगाने में सफलता हासिल की. पहले जहां इस पेड़ से सलाना एक हजार रुपये की आमदनी होती थी, वह अब बढ कर 30 हजार की हो गयी है. लगभग ३ से 4 हजार फल हर साल आते हैं.
अपने परिवार के बारे में जानकारी देते हुए रवि कहा उनके पिताजी चीन युद्ध के बाद ससे अब तक 54 बार रक्त दान कर चुके हैं. इतना ही नहीं उनके दूसरे भाई भी सिविल इंजीनियर हैं, लेकिन वह भी सामाजिक कार्योें से जुडे हैं. रवि किसानी के अलावा नेत्र दान जैसा महान कार्य किसानों तक पहुंचाने में सफलता प्राप्त की है. रवि गौ पालक भी हैं. उनके ढाई एकड़ बाग में एक हजार आम के पेड़ हैं. इतना ही नहीं उन्होंने नई तकनीक ईजाद कर लहसुन पैदावार में लागत को भी काफी काम करने में सफलता हासिल की है. यह सब कुछ रवि सिर्फ अपने लिए ही नहीं बल्कि किसानों को जागरूक करने के लिए भी कर रहे हैं. वह जुलाई से सितम्बर तक किसानों निःशुल्क ग्राफ्टिंग सिखाते हैं. रवि अविवाहित रह कर जीवन भर समाज व किसानों के प्रति समर्पित रहने की अनूठी मिशाल पेश कर रहे हैं.
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