'मुझे नौकरी से निकाल दिया गया है. मैं तुम्हे बताना चाहती हूं. काॅल मी. बाइ'. इस एक वॉइसमेल के बाद शुरू होती है, एक आधुनिक श्रवण कुमार की कहानी. मां की हरेक छोटी- बड़ी चाहतों हिप हाॅप डांस, स्काई डाइविंग, मैराथन, जिंदगी पर फिल्म बनाना आदि को पूरा करने में वह जी जान से जुटा है. ऐसा भी तब जब मां की उम्र 75 साल हो. भले ही मां बेटे की यह आधुनिक कहानी विदेशी हो, लेकिन हम सभी के लिए प्रेरक है. दरअसल, पिछले 50 सालों से अमेरिका के बाॅस्टन शहर में हाउसकीपर का काम करने वाली 75 वर्षीय रेबेका डैनिजेलिस को उनकी उम्र के कारण पिछले साल नौकरी से निकाल दिया गया. उस दिन उनका फ्रीलैन्स पत्रकार बेटा सियान पियरे रेजिस पेरिस में था. वाईसमेल मिलते ही रेजिस ने ठान लिया कि अब मां के अधूरे ख्वाबों को पूरा करने का समय आ गया है.
अकेली मां ने अपने दो बच्चों रेजिस और उनके भाई को बगैर एक दिन की छुट्टी लिए बेहतर बचपन दिया था. छुट्टी न मिल पाने के कारण वह अपनी बहन के अंतिम संस्कार (ब्रिटेन) तक में शामिल नहीं हो सकी थी. अब जाकर रेजिस ने अपनी मां को उनकी बहन के कब्र पर ले जा पाया. यह इंग्लैंड का वही लीवरपूल जहां से 60 के दसक में डैनिजेलिस पलायन कर बॉस्टन चली गयी थी. रेजिस को उम्मीद है कि इस साल के अंत तक मां की हरेक चाहतें पूरी हो जाएंगी. डैनिजेलिस की चाहत अपनी जिंदगीनामा बनाने की थी, लिहाजा बेटे ने 'डयूटी फ्री' नाम से बायोपिक बनाने की शुरुआत कर दी है. इसके लिए वह लोगों से चंदा देने की अपील कर रहे हैं. रेजिस के अनुसार, मां को होटल की खिड़की से बाॅस्टन मैराथन में दौरते धवकों को अक्सर निहारते हुए देखा करता था. उनकी हमेशा से चाहत थी कि वह भी इसमें हिस्सा ले पाती. इस चाहत को पूरा हाने के बाद उनकी आंखों में गजब का सकून व चमक दिखी. बतौर डैनिजेलिस, इससे पहले मैंने खुद को इतना जवान और प्यारी महसूस नहीं किया था. कोतूहल है जिंदगी के नये अध्याय को देखने की. वहीं रेजिस कहते हैं, मुझे तो जीवन का सबसे बड़ा तोहफा 'प्यार की सीख' मिल गया, जिसे आप अपनी जिंदगी की आपाधापी में नहीं हासिल कर सकते......
# इन दिनों यह कहानी इंटरनेट पर काफी पढ़ा और देखा जा रहा है....
# Rebecca Danigelis Sian-Pierre Regis
# Helping tick off mom's bucket list
अकेली मां ने अपने दो बच्चों रेजिस और उनके भाई को बगैर एक दिन की छुट्टी लिए बेहतर बचपन दिया था. छुट्टी न मिल पाने के कारण वह अपनी बहन के अंतिम संस्कार (ब्रिटेन) तक में शामिल नहीं हो सकी थी. अब जाकर रेजिस ने अपनी मां को उनकी बहन के कब्र पर ले जा पाया. यह इंग्लैंड का वही लीवरपूल जहां से 60 के दसक में डैनिजेलिस पलायन कर बॉस्टन चली गयी थी. रेजिस को उम्मीद है कि इस साल के अंत तक मां की हरेक चाहतें पूरी हो जाएंगी. डैनिजेलिस की चाहत अपनी जिंदगीनामा बनाने की थी, लिहाजा बेटे ने 'डयूटी फ्री' नाम से बायोपिक बनाने की शुरुआत कर दी है. इसके लिए वह लोगों से चंदा देने की अपील कर रहे हैं. रेजिस के अनुसार, मां को होटल की खिड़की से बाॅस्टन मैराथन में दौरते धवकों को अक्सर निहारते हुए देखा करता था. उनकी हमेशा से चाहत थी कि वह भी इसमें हिस्सा ले पाती. इस चाहत को पूरा हाने के बाद उनकी आंखों में गजब का सकून व चमक दिखी. बतौर डैनिजेलिस, इससे पहले मैंने खुद को इतना जवान और प्यारी महसूस नहीं किया था. कोतूहल है जिंदगी के नये अध्याय को देखने की. वहीं रेजिस कहते हैं, मुझे तो जीवन का सबसे बड़ा तोहफा 'प्यार की सीख' मिल गया, जिसे आप अपनी जिंदगी की आपाधापी में नहीं हासिल कर सकते......
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# Rebecca Danigelis Sian-Pierre Regis
# Helping tick off mom's bucket list
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