मोदी - शाह की जोड़ी से राष्ट्रपति चुनाव में भी राजनीति की बड़ी लकीर खींचने की उम्मीद लगाई जा रही थी. लेकिन, नतीजे इसकी गवाही देते नहीं दिखते. लोकसभा में प्रचंड बहुमत के साथ ही कई राज्यों में सरकार होने के बावजूद भाजपा राष्ट्रपति चुनाव में रिकार्ड तोड़ प्रदर्शन करने में असफल रही. पिछले चुनाव (2012) में वर्तमान राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को 7 लाख,13 हजार, 763 वोट वैल्यू हासिल हुए थे. जबकि इस चुनाव में सत्ता पक्ष के उम्मीदवार राम नाथ कोविंद को 7 लाख, 2 हजार, 44 वोट वैल्यू हासिल हो सके. यानी प्रणब दा से 11 हजार, 719 कम वोट वैल्यू हासिल हुये. इसी तरह तब विपक्षी एनडीए के उम्मीदवार पीए संगमा को 3 लाख, 15 हजार, 987 वोट वोट वैल्यू हासिल हुए थे. जबकि, इस बार विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार को 50 हजार ज्यादा वोट वैल्यू (2012 विपक्षी उम्मीदवार की तुलना में ) 3 लाख, 67 हजार, 314 ज्यादा प्राप्त हुये. यानी आंकड़ों के आधार पर कांग्रेस की रणनीति भाजपा से ज्यादा बेहतर दिखती है. भले हीं कांग्रेस की अगुवाई वाले विपक्ष को हार का मुंह देखना पड़ा हो. कांग्रेस मुखर्जी के लिए 69 फीसदी वोट का जुगाड़ करने में सफल रही थी, जबकि इस बार के विजय उम्मीदवार के खाते में 66 फीसदी वोट ही दर्ज हो सके.
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