Wednesday, July 26, 2017

फटाफट राजनीति 20-20 - 'बीपीएल 2017'

बिहार के सियासी मैदान पर बुधवार शाम को दूधिया रौशनी में फटाफट राजनीति ने दर्शकों का खूब मनोरंजन किया. इसे आइपीएल के तर्ज पर बीपीएल की भी संज्ञा दे सकते हैं. बिहार पाॅलिटिकल लीग 20-20. यानी दनादन क्रिकेट की तरह राजनीति का टी - 20. बिल्कुल फटाफट बैटिंग, बॉलिंग, फिल्डिंग के बीच ताबड़तोड़ रनों की बारिश. 
गत 7 जुलाई से ही सियासी रणभूमि में बादशाहत के लिए सभी राजनीतिक दलों की टीम के सूरमा शिद्दत से पसीना बहा रहे थे. प्रवक्ताओं की फड़कती बाजुओं और कई पुराने धुरंधरों की जाँबाजी को देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा था कि एक जलजला उठेगा. बतौर अंपायर राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी पटना में मौजूद थे. भजपा-जदयू के धुंआधार बैंटिंग के बीच राजद के कप्तान लालू प्रसाद को फिल्डिंग सैट करने का मौका भी नहीं मिल सका. या उनकी धारदार कप्तानी थोडी कुंद सी पडती दिखाई दी. मैदान सियासी हो या खेल का फिटनेस की बडी भूमिका होती है. ऐसे में उनकी उम्र भी आडे आ रही है. इतना ही नहीं पटना में चल रहे इस मैच के बीच ही कप्तान को ही रांची जाना पडा. चारा मामले में रांची की अदालत में हाजिरी लगाने. टाइमिंग. बैटिंग में टाइमिंग की काफी अहमियत होती है. इस दिलचस्प मैच के बीच मीडिया कामेंट्री का सिलसिला जारी रहा. सीएम नीतीश कुमार ने राज्यपाल को इस्तीफा सौंपा. बाहर निकले और पत्रकारों से बातचीत शुरू. इसी बीच पीएम मोदी का ट्वीट. दिल्ली में भाजपा संसदीय बोर्ड व पटना में आला नेताओं की बैठक. राज्यपाल को समर्थन का पत्र सौंपा. सीएम आवास पर एनडीए विधायकों का पहुंचना शुरू. मैच में सब कुछ कोच व पहले से तय लय-ताल के साथ हो, तो हार की गुंजाईश कम ही रह जाती है. वैसे इस दनादन स्वरूप में दोनों टीमों के खिलाड़ी एक दूसरे के मजबूत और कमजोर पक्षों से बखूबी वाकिफ हैं और वे जानते हैं कि 20 - 20का खेल ऐसा है, जिसमें एक साथ ही अपना सब कुछ झोंकना होता है, क्योंकि यहां वापसी करने की कोई गुंजाइश नहीं होती है. पहले भी एक दूसरे के साथ और एक दूसरे के खिलाफ खेल चुके हैं. कोच मोदी-शाह की जोडी और कप्तान नीतीश कुमार की जुगलबंदी का रंग देखते ही बना. विपक्षी टीम के लिए कोई मौका नहीं. वहीं लगता है पगबाधा आउट करने को लेकर राजद - कांग्रेस ने डीआरएस मांगने का वक्त भी गंवा दिया. हालांकि बड़ी देर बाद पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए राज्यपाल से मिलने का समय मांगा है. ऐसे में तीसरे अंपायर यानी अदालत के पास जाने का एक विकल्प भले ही खुला है लेकिन ज्यादा उम्मीद बेमानी ही है. ताबड़तोड़ बैटिंग के पीछे सियासी मैच के जानकारों का भी मानना है कि राजद के सबसे बडे दल होने व जदयू के 15 और 6 विधायकों का राजद खेमे में जाने का खतरा मंडरा रहा था. जीत के बाद नीतीश बतौर कप्तान आज फिर से सीएम पद का शपथ लेंगे. लेकिन, इन तमाम के बावजूद हमें यह याद रखना चाहिए कि फटाफट क्रिकेट में आए दिन कुछ ऐसे रिकार्ड बन व टूट जाते हैं, जिससे लोगों का मुंह खुला का खुला रह जाता है. ऐसे में सियासी मैदान पर भी फटाफट राजनीति में कौन कब नया रिकार्ड बना कर सब को हैरत में डाल दे. कहा नहीं जा सकता.

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