Wednesday, October 4, 2017

वाह गुरु, छा गए गुरु. ठोको ताली ...

लोगों की मदद के लिए अपनी जेब से करोड़ों रुपये खर्च करने वाले करोड़ों में एक सिक्सर सिद्धू.
 (4 मिनट में पढ़ें )
वादा करना और बाद में भूल जाना! अधिकतर नेताओं की फितरत ऐसी ही होती है! और बात अपनी जेब से खर्च करनी की हो तो... लेकिन अपवाद हर क्षेत्र में होते हैं. राजनीति में भी. जैसे 'सिक्सर सिद्धू' मतलब पंजाब के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू. इसी साल अप्रैल महीने में बिजली की एक हाईटेंशन लाइन से निकली चिनगारी के कारण राजासांसी के किसानों की लगभग 200 एकड़ में खड़ी फसल जलकर बर्बाद हो गई थी. उस समय पंजाब के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने घोषणा की थी कि किसानों को जितनी राशि सरकार देगी उतनी ही वह अपनी जेब से देंगे. वह अपने वादे पर खरे उतरे. आज उन्होंने अपनी जेब से पीड़ित किसानों को 15 लाख रुपए दिए. गौरतलब है कि इससे पहले भी नवजोत सिंह सिद्धू लोगों की मदद के लिए अपनी जेब से पैसे खर्च करने के लिए मशहूर रहे हैं. सांसद रहते हुए अमृतसर के 'गो ग्रीन, गो क्लीन'  लिए उन्होंने अपनी जेब से एक करोड़ रूपये दिया था. सिद्धू इसी साल जून महीने में मोहाली के एक हाॅस्पिटल में इलाज करा रहे मशहूर हॉकी खिलाड़ी अजमेर सिंह को अपनी जेब से 8 लाख रुपये की मदद की थी. हाल ही में अमर शहीद भगत सिंह के घर के बिजली बिल का भुगतान अपने पाॅकेट से कराया. इस एवज में उन्होंने 2.5 लाख रुपये का चैक दिया था. वैसे भगत सिंह को लेकर अन्य राजनीतिज्ञों की बात महज हवा हवाई ही लगती है. मई महीने में चार घायल अग्नीशमन कर्मियों को अपने पाॅकेट से एक-एक लाख रुपये की मदद की थी. एक कपडा फैक्ट्री में लगी आग को बुझाने के दौरान ये कर्मी घायल हुए थे. सबसे बडी बात यह कि सिद्धू मृत्यु के बाद अपने सभी अंगों को दान में देने का भी फैसला कर चुके हैं. साल 2013 में सिद्धू अपने लोकसभ क्षेत्र से दूर रहने के कारण से जुडे सवाल पर बगैर किसी लाग-लपेट के कहा था, 'मैं एक ईमानदार व्यक्ति हूं और मैं सही कारण बताऊंगा. मैं पैसा कमाने मुंबई गया था.' हाल ही का एक और वाक्या है. उन्हें बाबा फरीद पुरस्कार से नवाजा गया. सिद्धू ने पुरस्कार राशि में और एक लाख रुपये जोडकर उसी वक्त सुफी गायाक इदू शरीफ के इलाज के लिए दे दिया था. गौरतलब है की 12 अप्रैल, 2013 को सिद्धू की पत्नी ने कहा था, 'बतौर एमपी उन्हें 70 हजार रुपये मासिक सैलरी मिलती है, जबकि वह आधे घंटे के लिए 8 लाख रुपये लेते हैं. गुजरात चुनाव में प्रचार के लिए उन्हें बिग बाॅस कार्यक्रम से बाहर आना पडा, जिससे 6 करोड रुपये का नुकसान उठाना पडा'.


No comments:

Post a Comment

इस खबर पर आपका नजरिया क्या है? कृप्या अपने अनुभव और अपनी प्रतिक्रिया नीचे कॉमेंट बॉक्स में साझा करें। अन्य सुझाव व मार्गदर्शन अपेक्षित है.

मंत्रीजी, होम क्वरंटाइन में घुमे जा रहे हैं

 बतौर केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री कोरोनाकाल में अश्वनी चैबे की जिम्मेवारियां काफी बढ जानी चाहिए। क्योंकि आम लोग उनकी हरेक गतिविधियों खासक...