Saturday, August 26, 2017

शर्मनाक. बलात्कारी बाबा को सलाखों के पीछे पहुंचाने वाले अधिकारी को पैसे के लिए तरसाया गया

जिसे मिलना चाहिए सम्मान, उसे नहीं मिला भुगतान 

मई, 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की थी, सीबीआई पिंजरे में बंद तोते की तरह है. लेकिन, कई मामलों में यह जांच एजेंसी फीनिक्स पक्षी की तरह लगती है. मान्यता है कि फीनिक्स एक अमर पक्षी है और वह अपनी राख से दोबारा जिंदा हो जाता है. बलात्कारी बाबा गुरमीत राम रहीम मामले में भी ऐसा ही कुछ उभर कर सामने आया. सीबीआई को फीनिक्स पक्षी बनाते हैं उसके नेकनीयती वाले अधिकारी. पीड़ित साध्वी को न्याय दिलाने वाले फैसले में रिटायर्ड सीबीआई संयुक्त निदेशक मुलिंजा नारायणन की उल्लेखनीय भूमिका रही. मुुलिंजा नारायणन ने 39 सालों तक सीबीआई को अपनी सेवाएं दीं. उन्होंने पूर्व पीएम राजीव गांधी की हत्या से लेकर अयोध्या मंदिर, कंधार विमान अपहरण और बलात्कारी बाबा राम रहीम आदि कई मामलों से जुड़ी जांच में उल्लेखनीय भूमिका निभाई. 2009 में रिटायर्ड हुए. अप्रैल, 2011 में सीबीआई ने उन्हें बतौर सलाहकार प्रति माह 50 हजार रुपये पर नियुक्त किया. लेकिन, अक्तूबर 2013 से अप्रैल 2014 के बीच उनके बकाये 3.5 लाख रुपये देने में तरसाया. खोजबीन के बाद पता चला कि इससे संबंधित फाइल डिपार्टमेंट आॅफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग यानी डीओपीटी के पास लटका पडा रहा. मुलिंजा ने पीएमओ को 15 जून, 2014 को इस बारे में लिखा. कोई जवाब नहीं मिला. उल्लेखनीय है कि सीबीआई निदेशक के पास 10 लाख रुपये तक भुगतान करने का विशेषाधिकार है. लेकिन उन्होंने भी नारायणन का भुगतान नहीं किया. फेसबुक और ट्विटर पर उनका दर्द महसूस किया जा सकता है. 06 अक्तूबर, 2014 को वह फेसबुक पर लिखते हैं, आशा है कि पीएम जिन्हें चार पत्र व मिलने के एक आग्रह के बाद 6 महीने बतौर सीबीआई सलाहकार के सेवा के बदले भुगतान की स्वीकृति प्रदान करेंगे....अक्तूबर, 2013 से लंबित है... मेरा क्या... मुझे क्या... चलता है... व्यवस्था बदलनी चाहिए. गुड गवर्नेंस... फाइल 32 धाम की यात्रा कर रही है...मैं सितंबर, 2013 को पीएम से मिला था. 09 अक्तूबर 2014 को वह फिर लिखते हैं, 39 सालों की सेवा के दौरान कई बार मैं इस संदेह के ख्याल से गुजरा कि ईमानदारी, नेकनीयती क्या कमजोरी, नौकरी की असुरक्षा, डर की मनोविकृति, असहायता... आदि के लक्षण हैं. लेकिन कई बार यह ख्याल आता है कि यह वक्तिगत लक्षण हैं. लेकिन अंत में यह भुगतान करता है. हालांकि आप पीड़ित हैं... 20 अक्तूबर को नरायणन एक बार फिर अपना दर्द बयां करते हैं, हैप्पी दिवाली पीएमओ स्टाफ. आशा है कि उन्होंने पीएम को मेरे तीन पत्रों सौंप दिए होंगे. सीबीआई के लिए छह महीने काम करने के एवज में भुगतान नहीं. .... लेकिन सिस्टम अब भी उतना ही पुराना है, जहां से यह शुरू हुआ था. कोई बदलाव नहीं. नो गुड गवर्नेंस... निदेशक, सीबीआई के आग्रह को गृह मंत्रालय के एक कलर्क द्वारा खारिज कर दिया गया. अधिकारी अपना दिमाग अप्लाई नहीं करते.    

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