Thursday, August 10, 2017

डांट - फटकार का कोई फर्क नहीं पड़ता


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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गत 9 मई को छत्तीसगढ़ के बस्तर गए थे. यहां डीएम अमित कटारिया पीएम  की अगवानी के समय धूप का चश्मा और रंगीन ड्रेस पहने हुए थे. इस पर कटारिया को नोटिस भेजा गया था, 'यह कृत्य ऑल इंडिया सर्विस (कंडक्ट) रूल्स 1968 के क्लॉज 3(1) के विपरीत और अशोभनीय भी है.' इस रूल्स  के प्रावधानों के तहत आईएएस अधिकारियों के लिए ड्रेस कोड तय किये गये हैं. ट्रेनिंग के अलावा गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस, राज्यपाल, राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री के आगमन, अदालतों में उपस्थिति सहित विभिन्न अवसरों पर कौन सी पोशाक पहनना है, यह निर्धारित किया गया है. ठीक इसके एक दिन बाद यानी 10 मई को झारखंड हाइकोर्ट में सूबे की मुख्य सचिव राजबाला वर्मा रंगीन साड़ी पहन कर उपस्थित हो गईं. इस पर मुख्य न्यायाधीश प्रदीप कुमार मोहंती की अगुवाई वाली पीठ ने फटकार लगाते हुए कहा था, 'क्या यही आपका ड्रेस कोड है. अदालत का सम्मान करें.' साथ ही एडवोकेट जनरल को हिदायत दी थी कि कोर्ट में उपस्थिती को लेकर ट्रेनिंग के दौरान सिखाये गये ड्रेस कोड का पालन सुनिश्चित कराएं. नया मामला बिहार के मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह का समाने आया है. दरअसल, गत मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस जे चेलेमेश्वर और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की पीठ में एक मामले की सुनवाई के दौरान अंजनी कुमार सिंह अनौपचारिक पहनावे में उपस्थित हो गये. मुख्य सचिव के काले रंग का पैंट और बंद गला शर्ट पहने होने के कारण पीठ ने मामले की सुनवाई स्थगित करते हुए उन्हें कड़ी फटकार लगाई. 'क्या आप बता सकते हैं कि आप सीएम के सामने कैसे पेश आते हैं. क्या आप सीएम के साथ बैठक में अनौपचारिक पहनावे में उपस्थित होते हैं. अगर ऐसा नहीं, तो कैसे अनौपचारिक पहनावे में अदालत में उपस्थित हुए.' देश की शीर्ष अदालत में इस तरह आना सही नहीं है. इसके बाद मुख्य सचिव ने तुरंत अपने पहनावे को लेकर माफी मांग ली.

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