गरीब आदमी भी ऊँची महंगी चीजें खरीदने लगता है. मसलन, आटा, दाल, नमक, मिर्च आदि. देश की एकता और धर्मनिरपेक्षता के लिए भी महंगाई आवश्यक है. क्योंकि, यह जाति-धर्म, भाषा-क्षेत्र, अमीरी गरीबी में कोई भेद नहीं करती. महंगाई को अमीर और गरीब कभी बुरा-भला नहीं कहते. अमीरों के पास समय नहीं होता और गरीबों के पास न तो समय होता है और ना ही शब्द वह तो रोटी में खोया रहता है. केवल मध्यवर्ग ही उसे कोसता रहता है. घर में, बस में, रेल में, आॅफिस में... हर जगह.
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मंत्रीजी, होम क्वरंटाइन में घुमे जा रहे हैं
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