Wednesday, November 15, 2017

अनियंत्रित कलम निर्माण के बदले विध्वंस कर देती है

(4 मिनट में पढ़ें)
पत्रकारिता के क्षेत्र में आचार संहिता की जरूरत बराबर महसूस होती रही है. और उसका एक तरह से विकास भी होता रहा है. लेकिन आचार संहिता का कोई ठोस रूप अभी तक सामने नहीं आ सका है. यह अब भी मुख्यतः निजी विवेक का मामला है. संभवत: प्रत्येक प्रकार की स्वतंत्रता के साथ यही स्थिति है. बाहरहाल पत्रकारों की आचार संहिता के सवालों पर महात्मा गांधी की यह उक्ति हमेशा प्रासंगिक रहेगी- 'समाचारपत्रों का मुख्य उद्देश्य जनसेवा होना चाहिए। समाचारपत्र शक्ति का विराट स्रोत होता है, लेकिन जिस प्रकार अनियंत्रित नदिया गांव को डूबा देती है, फसलों को नष्ट कर देती है, उसी प्रकार अनियंत्रित कलम निर्माण के बदले विध्वंस कर देती है. लेकिन इस पर बाहर का नियंत्रण और अधिक घातक होगा. सच्चे अर्थों में लाभ तभी होगा जब इस में आत्मानुशासन हो.
12 मार्च 1979 को पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश प्रभा शंकर मिश्र तथा विनोद कुमार राय के खंडपीठ ने यह आचार संहिता प्रस्तावित की थी
1  प्रेस जनमत बनाने का मूल साधन है. इसलिए पत्रकारों को एक न्यासी के रूप में काम करना चाहिए तथा जन हित की रक्षा सेवा करनी चाहिए।
2  अपने कर्तव्यों का निर्वाह में पत्रकारों को नागरिकों के मौलिक अधिकारों और समाज के अधिकारों का ख्याल रखना तथा समाचारों को और विश्वस्त बनाना चाहिए.
3  पत्रकारों को ईमानदारी से समाचार संकलित और प्रकाशित करने तथा सिद्धांतों के आधार पर समुचित टीका टिप्पणी करने का अधिकार होना चाहिए पत्रकारों को ऐसी टिका टिप्पणी से परहेज करना चाहिए जिनके कारण तनाव और हिंसा भड़कने की संभावना हो.
5 पत्रकारों को यह प्रयास करना चाहिए की उनके द्वारा प्रेषित समाचार सर्वथा सही हो कोई तथ्य तोड़ा मरोड़ा नहीं जाए और ना ही आवश्यक सूचनाएं दबाई जाएं.
6 गलत सूचनाएं प्रकाशित नहीं करनी चाहिए. प्रकाशित समाचारों और टिप्पणियों के लिए जिम्मेदारी स्वीकार करनी चाहिए और अगर जिम्मेदारी नहीं लेनी हो तो उसका उल्लेख समाचार में स्पष्ट रुप से कर देना चाहिए.
7  अपुष्ट समाचारों के बारे में स्पष्ट लिखना चाहिए कि मुख समाचार की पुष्टि नहीं हुई है
8  पत्रकारों को गोपनीयता बरतनी चाहिए लेकिन भारतीय प्रेस परिषद और न्यायालय के समक्ष इस पर जोर नहीं देना चाहिए.
9  उन पत्रकारों को अपने व्यवसाय के हितों पर आंच नहीं आने देना चाहिए साथ ही व्यक्तिगत स्वार्थों के लिए सामाजिक हितों को तिलांजलि नहीं देनी चाहिए.
10 समाचार को सुधारना चाहिए.
11 पत्रकारों को अपने व्यवसाय की गरिमा बनाए रखनी चाहिए और अपने व्यवसाय का दुरुपयोग नहीं होने देना चाहिए.  पत्रकारों द्वारा घूस लेने से कोई और बुरी बात नहीं हो सकती.
13 पारस्परिक विवादों को जिसका कोई ताल्लुक नहीं हो जारी रखना पत्रकारिता के सिद्धांतों के विरुद्ध है.

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