Friday, November 3, 2017

टूटे हाथ से 7 गुना ज्यादा शत्रुओं से भिड़ कर कश्मीर को बचाया था

---प्रथम परमवीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा को श्रद्धांजलि-- 
---पहले उन्हें विक्टोरिया क्रॉस देना तय किया गया था--- 
(4 मिनट में पढ़ें ) 
आज ही के दिन(3 नवंबर ) अगर 1947 में बडगाम में मेजर सोमनाथ शर्मा के नेतृत्व वाली भारतीय सेना ने वह साहसी लड़ाई ना लड़ी होती, तो कश्मीर का इतिहास कुछ और ही होता. फौज ने पाकिस्तानी हमलावरों के एयरपोर्ट को कब्जाने के प्रयास विफल कर दिए थे. अगर एयरपोर्ट उनके कब्जे में चला गया होता तो ना सेना मजबूत हो पाती और न कश्मीर को बचा पाती. मेजर सोमनाथ शर्मा टूटे हुए हाथ से मुकाबला किया और दुश्मन की गोलियों की बौछार के आगे डटे रहे. शत्रु की संख्या लगभग 700 और मेजर सोमनाथ के साथ महज 80 की संख्या में सैनिक. लेकिन इसके बावजूद भी भारतीय सिपाही मेजर सोमनाथ शर्मा के निर्देशन में निरंतर संघर्ष करते रहे 6 घंटे तक युद्ध चलता रहा. मेजर शर्मा ने सैनिकों से कहा कि शत्रु की संख्या अधिक होने से भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है. युद्ध का जीतना संख्या के आधार नहीं होता युद्ध जीतने के लिए उत्साह और मातृभूमि पर मर मिटने की पवित्र भावना की जरूरत होती है. वह कमी पाकिस्तान फोन द्वारा भेजे गए कबाइलियों के अंदर है किस कमी का लाभ हमें उठाना चाहिए. इसलिए साथियों युद्ध जारी रखो जीत हमारी होगी. तभी अचानक एक गोला बारूद आकर गिरा चारों और धुआं ही धुआं था मेजर सोमनाथ शर्मा अपने एक सहयोगी के साथ शहीद हो गए. मरते हुए भी मेजर शर्मा अपने साथियों से कह रहे थे, 'आत्मा अमर है शरीर नश्वर है इसकी चिंता नहीं करनी चाहिए.' शत्रुओं की भारी संख्या के कारण ब्रिगेड हेड क्वार्टर में वायरस से मेजर सोमनाथ शर्मा को आदेश दिया, सामरिक दृष्टि से पीछे हट कर मोर्चा लगा लो. 'मैं 1 इंच भी पीछे नहीं हटूंगा और अंतिम सैनिक को अंतिम गोली तक बराबर पाकिस्तानी दरिंदों से जूझता रहूंगा, शर्मा ने उत्तर दिया था. इस तरह 3 नवंबर 1947 की तारीख इतिहास में दर्ज हो गई.
बडगाम की उल्लेखनीय वीरता के लिए मेजर सोमनाथ को विक्टोरिया क्रॉस देना तय किया गया था क्योंकि तब तक भारतीय सम्मान चक्रों की श्रृंखला शुरु नहीं हुई थी. लेकिन यह भी एक संशय की बात थी कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद ब्रिटिश सम्मान दिए जाने का कोई औचित्य नहीं था. 1951 में भारतीय चक्र सम्मान की शुरुआत हुई और इस क्रम का पहला परमवीर चक्र मरणोपरांत मेजर सोमनाथ शर्मा को प्रदान किया गया. 

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