आज खबरों से एक और सच दूर चला गया. 'कलम के सिपाही' कुलदीप नैयर सर को विनम्र श्रद्धांजलि... वह ज्ञान देने में नहीं ज्ञान को साझा करने में यकीन रखते थे. पत्रकारिता जगत में मेरा पहला कदम उन्हीं से बातचीत पर आधारित प्रकाशित लेख (लगभग 12 साल पहले AUG 2006) के साथ शुरु हुआ था.... और यह सिलसिला जारी रहा. सर आप हमेशा यादों में बने रहेंगे ...शत शत नमन....
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मंत्रीजी, होम क्वरंटाइन में घुमे जा रहे हैं
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